चित्तौड़गढ़ विधानसभा में बीजेपी के बाद अब कांग्रेस में भी टिकट बचाने की कोशिश शुरू हो गई है। सुरेंद्र सिंह जाड़ावत के टिकट कट जाने के अनुमान से आज कार्यकर्ताओं का सम्मेलन आयोजित किया गया। यहां कार्यकर्ताओं ने जाड़ावत को कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में चुने जाने की मांग की है। वहीं, कार्यकर्ताओं ने इस बात से भी नाराज की जताई कि इस विधानसभा के लिए बाहरी प्रत्याशी को चुना जा सकता है।
कांग्रेस में चित्तौड़गढ़ विधानसभा से सुरेंद्र सिंह जाड़ावत के टिकट काटे जाने की चर्चा चल रही है। ऐसे में पार्टी को कार्यकर्ताओं की नाराजगी भी झेलनी पड़ रही है। सुरेंद्र सिंह जाड़ावत ने कहा कि जब से यह चर्चा चली है, तब जयपुर जाकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और रंधावा से मुलाकात की है। उन्हें कार्यकर्ताओं की मन की भावनाएं भी बताई है। दोनों ने आश्वासन दिया कि इस बारे में विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि 2 दिन से जो माहौल है उसकी जानकारी आलाकमान तक पहुंच चुकी है। जब मैं जयपुर था, तब कई कार्यकर्ताओं ने उन्हें आत्महत्या की भी धमकी दी थी, जिसके कारण मुझे जल्द ही चित्तौड़गढ़ आना पड़ा।
बाहरी व्यक्ति को टिकट दिया जाना गलत
टिकट उसे दिए जाने की चर्चा हो रही है जिसको शहर का या गांव का कोई व्यक्ति नहीं जानता, उसे भौगोलिक और राजनीतिक स्थिति के बारे में भी कुछ नहीं पता। ऐसे में कार्यकर्ताओं में गुस्सा होना स्वाभाविक है। आज तक कार्यकर्ताओं ने ही सारी पोलिंग पार्टी से लेकर सब मैनेजमेंट संभाला है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ही मेरा कैरियर बनाया और उन्हीं के साथ रहकर मैंने जिंदगी भर काम किया है। आज उनके कारण ही चित्तौड़गढ़ में डेवलपमेंट हुआ है। वह सब की भावनाओं को समझते भी है।
6 तारीख तक करूंगा इंतजार
जाड़ावत ने कहा कि टिकट घोषणा में अगर मेरा नाम हुआ तो मैं पूरी मेहनत के साथ चुनाव लड़ूंगा। अगर मेरा नाम नहीं हुआ तो 6 नवंबर दोपहर के एक बजे तक में आलाकमान के फैसले का इंतजार करूंगा। अगर फैसला पॉजिटिव नहीं आया तो उसके बाद कार्यकर्ता जो भी कहेंगे वही फैसला किया जाएगा। दोपहर 3 बजे तक का हमारे पास समय है। एक बजे तक पार्टी के लिए मैं जरूर इंतजार करूंगा।
राजपूत वोटर्स के कम होने का दिया हवाला
जानकारी में आया कि सुरेंद्र सिंह को ना चुनने के लिए आलाकमान ने उनके पास राजपूत वोटर्स का कम का हवाला दिया। वहीं, सबका कहना है कि राजपूतों का झुकाव हमेशा से भाजपा की ओर रहा है। इसके बावजूद भी सुरेंद्र सिंह जाड़ावत ने पहले भी जीत हासिल की है। कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता नगेंद्र राठौड़ ने कहा कि आलाकमान गलत फैसला नहीं कर तो सही होगा। उन्हें अपना निर्णय बदल देना चाहिए। चित्तौड़ राजपूतों की सीट है बाकी किसी की नहीं, यह गलत बात है। चित्तौड़गढ़ 36 कौम की सीट है। सुरेंद्र सिंह ने एड़ी चोटी लगाकर चित्तौड़ वासियों की सेवा की है। सुरेंद्र सिंह जाड़ावत के अलावा कोई नहीं है जो इस चुनाव को लड़ सके। हम सब उनके साथ तैयारी कर रहे थे। यह राजतंत्र नहीं लोकतंत्र के लिए चुनाव है। जनता पहले से ही चुन चुकी है कि कांग्रेस का प्रत्याशी कौन होना चाहिए। जातिगत भेदभाव करना यह कांग्रेस का काम है।