मेवाड़ के सबसे प्रमुख शक्ति पीठों में से एक ईडाणा माता मंदिर में खुश होने पर माता स्वयं ही अग्नि स्नान करती हैं। यह मंदिर उदयपुर शहर से 60 किमी दूर कुराबड-बम्बोरा मार्ग पर अरावली की विस्तृत पहाड़ियों के बीच स्थित है। ईडाणा माता राजपूत समुदाय, भील आदिवासी समुदाय सहित संपूर्ण मेवाड़ की आराध्य मां हैं।
ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण महाभारत काल में हुआ था। कई रहस्यों को अपने अंदर समेटे हुए इस मंदिर में नवरात्र के दौरान भक्तों की भीड़ होती है। ईडाणा माता का अग्नि स्नान देखने के लिए हर साल भारी संख्या में भक्त यहां पहुंचते हैं। अग्नि स्नान की एक झलक पाने के लिए भक्त घंटों इंतजार करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इसी समय देवी का आशीर्वाद भक्तों को प्राप्त होता है। पुराने समय में ईडाणा माता को स्थानीय राजा अपनी कुलदेवी के रूप में पूजते हैं।
Idana Mata Temple : राजस्थान के उदयपुर में अरावली की पहाड़ियों के बीज ईडाणा माता का मंदिर है. माना जाता है इसका निर्माण महाभारत काल में हुआ. यहां ईडाणा माता अग्निस्नान करती हैं. लेकिन कब ये तिथि निश्चित नहीं है. किस्मत वालों को ही ये दर्शन हो पाते हैं.
भक्तों का मां ईराणा को चढ़ाया गया श्रृंगार और चढ़ावा इस अग्रि में भस्म हो जाता है. लेकिन मूर्ति ज्यों कि त्यों ही रहती है. लेकिन ये विहंगम दृश्य किसी किसी को ही देखना नसीब होता है.
इससे पहले ईडाणा माता ने 9 मार्च 2021 की शाम 4 बजे अग्निस्नान किया था। इसके 5 दिन बाद 14 मार्च 2021 को भी अग्निस्नान हुआ था अग्नि स्नान की सूचना जैसे ही फैली तो आसपास के कई गाँव के लोग मंदिर पहुँच गए। अग्नि स्नान करते हुए माँ के अद्भुत स्वरूप के दर्शन किए। मीडिया रिपोर्टों की मानें तो माता के अग्निस्नान की कोई तय तिथि नहीं है। यह कभी-कभी महीने भी 3-4 बार भी हो जाता है तो कभी साल भर नहीं होता.
उदयपुर से 60 किमी दूर कुराबड़-बम्बोरा रोड पर पहाड़ियों के बीच मां ईडाणा का छोटा सा मंदिर है. ईडाणा माता एक बरगद के पेड़ के नीचे खुले आसमान के नीचे विराजमान है.
ईडाणा माता जब अग्नि स्नान करती है तो मूर्ति को कोई नुकसान नहीं होता है. हांलाकि अग्निस्नान के समय उठने वाली लपटों ने बरगद के पेड़ को कई बार नुकसान पहुंचाया है.
ईडाणा माता मंदिर 24 घंटे खुला रहता है और मान्यता है कि यहां आने वाले लकवाग्रस्त मरीज जल्दी ठीक हो जाते हैं. ईडाणा माता के अग्निस्नान को देखने भारी संख्या में विदेशी सैलानी भी आते हैं, अगर किस्मत अच्छी रही तो दर्शन कर पाते हैं.
एक रिपोर्ट के मुताबिक ईराणा माता का अग्निस्नान कभी कभी एक महीने में 3-4 बार होता है तो कभी साल भर तक नहीं होता है. इस दौरान मंदिर परिसर में आग की ऊंची लपटे निकलती है.