पुलिस महकमे में झारखंड की एक महिला के फर्जी तरीके से नौकरी लगने का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। हैरानी की बात यह है कि महिला 15 साल से नौकरी कर रही थी, लेकिन किसी अधिकारी को इसकी भनक तक नहीं लगी। कांस्टेबल हीरा गगराई के पति सुनील की शिकायत पर फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ।
इसके बाद पुलिस अधिकारियों ने आईजी ऑफिस में तैनात कांस्टेबल को गुपचुप तरीके से दो माह पहले वीआरएस देकर मामले को रफादफा कर दिया। लेकिन हीरा को आंख मूंदकर नियम विरुद्ध नौकरी देने वाले तत्कालीन जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ न तो कार्रवाई हुई और न ही महिला से वसूली के आदेश दिए। भास्कर ने जब अफसरों की इस करतूत को पकड़ा तो महकमे में हड़कंप मच गया।
मुंडा जाति की हीरा ने एसटी वर्ग में किया आवेदन, यह प्रदेश में अधिसूचित ही नहीं
राजस्थान पुलिस ने 14 जून 2005 को कांस्टेबल के लिए भर्ती निकाली। विज्ञप्ति क्रमांक 3751 के बिंदु चार में स्पष्ट रूप से उल्लेखित था कि अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति व अन्य पिछड़ा वर्ग में राजस्थान के आवेदक ही पात्र होंगे।
हीरा गगराई ने महिला कांस्टेबल पद के लिए एसटी वर्ग में आवेदन किया। साथ में अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र भी लगाया। जबकि हीरा मुंडा जाति से संबंधित थी। यह जाति प्रदेश में अधिसूचित ही नहीं थी। ऐसे में वह सामान्य श्रेणी में आवेदन करने के लिए ही पात्र थी।
तलाक का नोटिस दिया तो पति ने की शिकायत :
हीरा की 2005 में झारखंड के ही बीएसएफ हवलदार सुनील बारी से शादी हुई थी। रिटायर्ड होने के बाद सुनील भी हीरा के साथ उदयपुर पुलिस लाइन के क्वाटर में रहने लगा। 2016 में दोनों के बीच मनमुटाव शुरू हो गया था।
इसके बाद सुनील हीरा को छोड़कर पुत्री को लेकर गांव चला गया। 2018 में हीरा ने उसे तलाक का नोटिस भेजा। इसके बाद सुनील ने उदयपुर पुलिस के अधिकारियों को हीरा के फर्जीवाड़े से पुलिस में भर्ती होने की शिकायत की।
जांच रिपोर्ट…भर्ती के दौरान दो साल ज्यादा थी उम्र, सामान्य वर्ग में भी आवेदन के लिए नहीं थी पात्र
पति की शिकायत के बाद एसपी विकास शर्मा ने 22 अक्टूबर 2022 को मामले की जांच महिला अपराध एवं अनुसंधान प्रकोष्ठ की उपअधीक्षक चेतना भाटी को सौंपी। 16 दिसंबर को कांस्टेबल को नोटिस जारी किया। 28 को उसने आरोपों को खारिज करते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की।
भाटी ने पाया कि हीरा ने गलत ढंग से एसटी वर्ग में नियुक्ति पा ली। वह सामान्य वर्ग में भी आवेदन की पात्र नहीं थी। क्योंकि उसका जन्म 29 दिसंबर 1978 को हुआ था, जबकि सामान्य वर्ग में भर्ती के लिए 1 जनवरी 1980 निर्धारित थी। हीरा संतोषप्रद जवाब नहीं दे पाई।
इस पर आरोपों को प्रमाणित मानते हुए एसपी ने 16 जनवरी 2023 को वीआरएस दे दिया। बताया जाता है कि हीरा अब तक करीब 45 लाख रुपए वेतन ले चुकी है। अभी वह 50 हजार रुपए मासिक वेतन ले रही थी।
एसपी बोले-अफसरों पर होगी कार्रवाई
शिकायत के बाद महिला कांस्टेबल के खिलाफ विभागीय जांच हुई थी। इसके बाद ही वीआरएस दिया गया है। भर्ती के दौरान प्रमाण पत्र की ठीक से जांच नहीं करने वाले अधिकारियों के खिलाफ भी जांच कर कार्रवाई की जाएगी।
-विकास शर्मा, पुलिस अधीक्षक, उदयपुर
कानूनविद-कांस्टेबल से हो रिकवरी
भर्ती के समय राजस्थान में मान्य नहीं होने वाले प्रमाण पत्र को पेश कर नौकरी लेना कानूनन गलत है। पुलिस को एफआईआर दर्ज कर लिए गए परिलाभों की विभागीय रिकवरी करनी चाहिए। दस्तावेजों की जांच करने वाले अधिकारियों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए।
-राकेश मोगरा, एडवोकेट