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धुलधसरीत हो रही विरासत

कानोड़ (भरत जारोली)। कानोड़ व राजपुरा गढ़ के मध्य कमल वाला तालाब के किनारे पर स्थित महासतिया जी में कानोड़ के पूर्व ठिकानोदारों के मरणोपरांत उन की यादों को संजोए रखने के लिए उन के उत्तराधिकारीयों द्वारा निर्मित छतरियां इन दिनों न तो पालिका प्रशासन और न ही पूर्व ठिकानोदारों के उतराधिकारियो की उदासीनता व देखरेख व रखरखाव के अभाव में धुलधसरित हो खण्डहर में तब्दील होती जा रही है।


महासतिया जी में निर्मित कुछ छतरियां जमींदोज होने लगी तो कुछ छतरियों के ऊपर पैड पौधे उग आये है, कुछ छतरियों के पत्थर प्लास्टर भी उखड़ गए हैं।
खण्डहर में तब्दील हो रही इस विरासत को बचने व इसे नया रूप दिया जाने के लिए जिम्मेदार प्रशासन से अपिल की गयी किन्तु प्रशासन की उदासीनता के कारण स्थिति जस की तस बनी हुई है।


महासतियां जी परिसर में अन्य समाजों के पूर्वजों की याद में चबुतरों का भी निर्माण किया गया है साथ ही यहां आये दिन विभिन्न समाजजनों व्दारा विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। कुछ परिवारों में शादी के बाद दुल्हा दुल्हन को यहां ढोक दिलाने भी लाया जाता है। ऐसे में इस विरासत को सारसंभाल की दरकार है।

RISHABH JAIN
Author: RISHABH JAIN

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