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रेलवे ने कोरोनाकाल की व्यवस्थाएं नहीं बदली:कोरोनाकाल में शुरू स्पेशल ट्रेनें अब भी उसी नाम व किराए के साथ चल रहीं

आपदा में अवसर तलाशने वाली बात रेलवे पर सटीक बैठ रही है। सवा तीन साल पहले कोरोना काल में स्पेशल ट्रेन चलाकर बढ़ाया गया किराया अब भी यात्रियों से वसूल रहा है। यात्रियों को किराए में छूट बंद करने और स्पेशल ट्रेनों के संचालन से रेलवे के यात्री किराए में कोरोना से पहले के मुकाबले 71 प्रतिशत आय बढ़ी है।

रेलवे सवा तीन साल बाद भी यात्री किराया व सुविधाओं को कोरोना काल की ही तर्ज पर चला रहा है। जबिक विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हाल ही में कोरोना के वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल के रूप में अब खत्म हो जाने की घोषणा कर दी है। रेलवे में बुजुर्गों दिव्यांगों और स्टूडेंट्स काे दी जाने वाली रियायतें भी अब तक बहाल नहीं की गई हैं। एमएसटी योजना भी सभी ट्रेनों के लिए अब तक बहाल नहीं हुई है।

रेलवे ने कोरोना काल से पहले विभिन्न श्रेणी के यात्रियों काे किराए में रियायत दे रखी थी। मार्च 2020 में कोरोना महामारी के दौरान रेलवे काे ट्रेनों का संचालन बंद करना पड़ा। इन स्पेशल ट्रेनों का किराया भी सामान्य से कई गुणा ज्यादा था। रेलवे ने कोरोना कम हाेने पर इनका संचालन ताे नियमित शुरू कर दिया लेकिन किराया स्पेशल ही रखा, कोरोना से पहले इन ट्रेनों में जो नियमित किराया था उसे बहाल नहीं किया। रेलवे ने एक-एक कर सभी ट्रेनों का संचालन ताे शुरू कर दिया, लेकिन स्पेशल ट्रेन के रूप में शुरू किया।

समझिए… कोरोना काल से अब तक स्पेशल ट्रेन के नाम पर किराया वसूली कैसे हाे रही

काेराेना काल में जयपुर से सादुलपुर के बीच अगस्त 2021 में हाेली डे सप्ताह में पांच दिन स्पेशल ट्रेन चलाई गई थी। तब झुंझुनूं से जयपुर तक इसका स्लीपर में किराया 285 रुपए था। अब इसका विस्तार श्रीगंगानगर तक करने के बाद झुंझुनूं से जयपुर का स्लीपर में किराया 100 रुपए बढ़ाकर 385 रुपए कर दिया गया है। चाैमूं से जयपुर का किराया भी 100 रुपए बढ़ा दिया गया है। श्रीगंगानगर से जयपुर की दूरी 527 किमी है। जयपुर-सादुलपुर-श्रीगंगानगर स्पेशल ट्रेन में स्लीपर का किराया 405 रुपए है।

इसी ट्रेन में हनुमानगढ़ से जयपुर का किराया 385 रुपए और दूरी 460 किलाेमीटर है, जबकि इसी ट्रेन में झुंझुनूं से जयपुर का किराया भी 385 रुपए ही लिया जा रहा है। जबकि झुंझुनूं से जयपुर की दूरी 174 किमी है। इसी तरह चाैमूं से जयपुर की दूरी 28 किमी है। इसी ट्रेन में स्लीपर टिकट का किराया भी 385 रुपए ही लिया जा रहा है। यानी 28 किलाेमीटर की दूरी से यात्रा करने वाले यात्री से भी 385 रुपए वसूले जा रहे हैं, ताे जयपुर से हनुमानगढ़ की दूरी 460 किमी है उससे भी 385 रुपए ही लिए जा रहे हैं। जबकि झुंझुनूं से जयपुर जाने के लिए काेटा-हिसार एक्सप्रेस सहित दिल्ली-जयपुर सैनिक एक्सप्रेस ट्रेन में किराया सिर्फ 145 रुपए ही है।

यात्री किराए से रेलवे की आय 71 फीसदी बढ़ी

रेलवे काे 2020 काेराेना के समय घाटा लगा था। इसकी भरपाई के लिए रेलवे ने रियायताें व जनरल टिकट से यात्रा काे भी कुछ समय के लिए बंद किया। स्पेशल व एक्सप्रेस ट्रेनाें का संचालन शुरू किया। इससे रेलवे की यात्री किराए आय में 71 प्रतिशत की बढ़ाेतरी हुई। नवंबर 2022 में रेलवे काे एक महीने में 224 कराेड़ रुपए की आय हुई। जबकि नवंबर 2020 में 119 कराेड़ रुपए थी। अप्रैल 2020से नवंबर 2020 तक यात्री आय 9534.1 कराेड़ रुपए अप्रैल 2021 से नवंबर 2021 तक यात्री आय 14184.38 कराेड़ रुपए अप्रैल 2022 से नवंबर 2022 तक यात्री आय 1620.11 कराेड़ रुपए

विशेष श्रेणी के यात्रियों की यह सुविधाएं अब तक बहाल नहीं

यात्री श्रेणी – कोरोना से पहले सुविधा अब क्या स्थिति
वरिष्ठ नागरिक महिला – किराए में 50 प्रतिशत छूट – कोई छूट नहीं
वरिष्ठ नागरिक पुरुष – किराए में 30 प्रतिशत छूट – कोई छूट नहीं
दिव्यांग व सहयोगी यात्री – किराए में 50 प्रतिशत छूट – कोई छूट नहीं
दृष्टिहीन व सहयोगी यात्री – किराए में 50 प्रतिशत छूट – कोई छूट नहीं
विद्यार्थी – किराए में 50 प्रतिशत छूट – कोई छूट नहीं

यात्रियों को एमएसटी की सुविधा भी अभी कुछ ही ट्रेनों में

ट्रेनाें में डेली अपडाउन करने वालाें काे एमएसटी (मासिक सीजन पास) दिए जाते थे। कोरोना काल में यह व्यवस्था बंद की गई थी। पिछले साल कुछ ट्रेनों में ताे बहाल कर दी, लेकिन सभी ट्रेनों में बहाल नहीं हाे पाई है। पहले यह सुविधा सुपरफास्ट ट्रेनों काे छाेड़कर सभी में लागू थी। झुंझुनूं से नूआं का एमएसटी मासिक किराया 100 रुपए है, जबकि नूआं के लिए ट्रेन किराया 30 रुपए है। मासिक पास नहीं हाेने से अपडाउन करने वाले काे महीने के 1800 रुपए खर्च करने पड़ते हैं।

कोरोना पर WHO की राय

वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल के रूप में अब कोरोना खत्म

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हाल ही में घोषित कर दिया है कि कोविड-19 अब वैश्विक आपातकाल जैसा नहीं रहा है। WHO के महानिदेशक टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस ने बताया है कि आपातकालीन समिति द्वारा समीक्षा करने और अंतरराष्ट्रीय चिंता के सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल को समाप्त करने की सिफारिश करने के बाद ही यह निर्णय लिया गया। टेड्रोस ने कहा कि COVID-19 अब वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल के रूप में खत्म हो चुका है। क्योंकि एक वर्ष से अधिक समय से, महामारी का ट्रेंड नीचे की ओर ही रहा है, टीकाकरण और संक्रमण से जनसंख्या की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ रही है, मृत्यु दर कम हो रही है और स्वास्थ्य प्रणालियों पर दबाव कम हो रहा है। इसलिए अब आपातकालीन मोड से निकलकर अन्य संक्रामक रोगों के साथ ही कोविड के प्रति भी प्रबंधन मोड में आ सकते हैं।

सीधी बात
कैप्टन शशि किरण, रेलवे सीपीआरओ, जयपुर जाेन

Q- कोरोना काल में बंद की गई वरिष्ठ नागरिकाें, दिव्यांगाें व स्टूडेंट की रियायतों काे अब तक बहाल क्याें नहीं किया गया?
A- यह रेल मंत्रालय स्तर का नीतिगत मामला है। उनकाे ही यह फैसला करना है। अभी हमारे पास इन्हें बहाल करने को लेकर किसी प्रकार के आदेश नहीं हैं।
Q- कोरोना काल में शुरू की गई स्पेशल ट्रेनों का संचालन अब भी उसी नाम व किराए के साथ किया जा रहा है, यात्रियों काे अधिक किराया देना पड़ रहा है ऐसा क्याें?
A- यह रेलवे बाेर्ड तय करता है कि काैनसी ट्रेन का कैसे संचालन करना है और उसके अनुसार ही ट्रेन का यात्री किराया तय हाेता है।
Q- कोरोना काल में बंद की गई एमएसटी योजना अब भी पहले की तरह सभी ट्रेनों में लागू नहीं की गई, इसका क्या कारण है ?
A- एमएसटी सेवा पहले भी सभी ट्रेनों में लागू नहीं थी, कुछ ट्रेनों को इससे मुक्त रखा गया था। यह रेल मंत्रालय स्तर का नीतिगत मामला है, उनकाे ही यह फैसला करना है, हालांकि रेलवे ने अब इसे कई ट्रेनों में लागू कर दिया है।

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