भारत-पाकिस्तान बॉर्डर से सटा पश्चिमी राजस्थान का इलाका…जैसलमेर। यहां से करीब 50 किलोमीटर की दूरी सम….जहां दूर-दूर तक केवल रेत के टीले नजर आते हैं।
इस बार रेगिस्तान का नजारा बिल्कुल बदला हुआ है। 25 साल बाद जब बारिश का रिकॉर्ड टूटा तो रेगिस्तान में धोरों पर हरियाली छा गई। गांव वाले भी कहने लगे कि सालों बाद हमने ऐसा नजारा देखा है।
ये वो ही सम का इलाका है, जहां इस बार गर्मी का तापमान भी 50 डिग्री सेल्सियस पार गया। लोगों को उम्मीद नहीं थी कि इतनी बारिश होगी कि रेत के धोरों में नदियां बहने लग जाएगी और गांव डूब जाएंगे।
सम इलाके में अब तक 590 एमएम बारिश हुई
सम इलाके में पिछले 5 साल से 190 एमएम औसत बारिश होती आई है। इस बार मानसून सीजन में अब तक करीब 590 एमएम बारिश हो चुकी है। सम तहसीलदार गजानंद मीना ने बताया कि औसत से ज्यादा बारिश हुई है। अगस्त महीने में ही करीब 470 एमएम बारिश दर्ज की जा चुकी है, जो औसत से काफी अधिक है।
इससे पहले साल 1999 में 373 एमएम बारिश हुई थी। इसके पहले साल 2006 में बाढ़ आई थी, लेकिन उस समय भी इलाके में 256 एमएम ही बारिश हुई थी। मगर इस साल हुई बारिश से रेगिस्तान में पानी-पानी हो गया।
हालांकि गांव के लोगों का दावा है कि 50 साल पहले ऐसे हालात देखे थे, जब रेगिस्तानी इलाके सम में 8 फीट तक पानी आ गया था। अब वैसा ही हाल इस बार नजर आया है। जहां तक नजर जाती है, वहां पानी ही पानी है।
हालांकि गांव के लोगों का दावा है कि 50 साल पहले ऐसे हालात देखे थे, जब रेगिस्तानी इलाके सम में 8 फीट तक पानी आ गया था। अब वैसा ही हाल इस बार नजर आया है। जहां तक नजर जाती है, वहां पानी ही पानी है।
32 फीसदी थार का रेगिस्तान जैसलमेर में
जैसलमेर से 45 किमी दूर स्थित सम इलाका अपने रेगिस्तान की वजह से दुनिया में पहचान रखता है। यहां थार का रेगिस्तान है। थार का रेगिस्तान भारत और पाकिस्तान 200,000 स्क्वायर किमी (77,000 वर्ग मील) में फैला है।
यह विश्व का 17वां सबसे बड़ा मरुस्थल है और 9वां सबसे बड़ा गरम मरुस्थल है। थार का 85% भाग भारत और 15% भाग पाकिस्तान में है। थार के मरुस्थल का राजस्थान में विस्तार 62% है और राजस्थान के कुल क्षेत्रफल का 61.11% भाग मरुस्थल से घिरा हुआ है।
इनमें चूरू, हनुमानगढ़, बीकानेर, जोधपुर, जैसलमेर और बाड़मेर जिले शामिल हैं। थार का पश्चिमी भाग मरुस्थल कहलाता है और बहुत शुष्क है, जबकि पूर्वी भाग में कभी-कभी बारिश हो जाती है।
इस रेगिस्तान का 32 फीसदी हिस्सा जैसलमेर, 24 फीसदी हिस्सा बाड़मेर, 25 फीसदी बीकानेर, और 19 फीसदी हिस्सा जोधपुर में हैं। जैसलमेर भारत के सबसे सूखे इलाके के रूप में जाना जाता है। पिछले कुछ सालों से जैसलमेर में मानसून की बढ़िया बरसात से इस इलाके में रेगिस्तानी इलाका धीरे-धीरे नखलिस्तान में बदल रहा है।
सम इलाके में 150 के करीब रिसोर्ट है
जैसलमेर के सम इलाके में रेगिस्तान होने के कारण सबसे ज्यादा सैलानी इस जगह पहुंचते हैं। इस जगह करीब 150 के करीब छोटे बड़े रिसोर्ट है। जो भी सैलानी जैसलमेर आता है, वो सम इलाके में जरूर आता है।
यहां रेगिस्तान पर कैमल, जीप सफारी होती है। इसके साथ ही इन लग्जरी रिसोर्ट में राजस्थानी फूड के साथ लोक कलाकारों का संगीत प्रदर्शन भी होता है। सैलानी जैसलमेर में इस रेगिस्तानी जीवन को फील करते हैं।
रिसोर्ट में कपड़े का टैंट लगाकर एक कमरा बना होता है, जिसमें सैलानी को सभी लग्जरी सुविधा उपलब्ध होती है।
गर्मी में 50 डिग्री तो सर्दी में 0 डिग्री सेल्सियस तक जाता है तापमान
जैसलमेर का सम इलाका गर्मी में बहुत ज्यादा गर्म हो जाता है। यहां तापमान गर्मियों में 45 डिग्री सेल्सियस से ऊपर ही रहता है और कभी-कभी तो 50 डिग्री के पास भी पहुंच जाता है। जबकि सर्दियों में यहां तापमान 5 डिग्री से नीचे ही रहता है।
कई बार सर्दियों में यहां तापमान में जीरो डिग्री तक भी पहुंच चुका है। इसका कारण यहां मिट्टी का होना है। मिट्टी धूप में जल्दी गर्म और बिना धूप के ठंडी रहती है, इसलिए यहां तापमान दिन में अगर 30 डिग्री तापमान भी हो तो रात यहां ठंडी होती है।