छोटी बात
हम किसी को अपनी बातों को तभी समझा पाते हैं जब हम सीधे मुद्दे की बात करते हैं। कुछ लोग किसी बात को एक ही बार में एक साथ बोल देते हैं जिससे सामने वाले व्यक्ति को कुछ भी समझ में नहीं आता। कुछ बातें ऐसी होती हैं जिनका विषय से कोई सम्बन्ध नहीं होता, जो सुनने वाले में ऊब पैदा करता है। आपकी लंबी बात करने की आदत से लोग आपसे दूर भागेंगे। प्रयास कीजिए कम और साफ शब्दों में पूरी बात रखने का प्रयास करें।
उच्चारण सही हो
आपका कॅरियर सफल हो इसके लिए जरूरी है कि आपका उच्चारण सही हो। कई लोगों को कुछ शब्दों के बोलने में उच्चारण की दिक्कत होती है। विशेष रूप से स और श को लेकर। जैसे शाम को साम कहना, या फिर व के उच्चारण को ब के रूप में बोलना जैसे विश्वास को बिस्बास। कॅरियर सफल हो इसके लिए उच्चारण में सुधार लाने की आवश्यकता होती है। ऐसा देखा गया है कि जैसा बोला जाता है वैसा लिखा भी जाता है। अगर आप किसी लेखन कार्य से जुड़े हुए हैं तो अभ्यास से इसमें सुधार लाएँ।
जरूरी शिष्टाचार
नौकरी के लिए साक्षात्कार देते या कार्यालय में प्रोजेक्ट पेश करते समय आपकी शारीरिक गतिविधि सहूलियत के अनुसार हो सकती है। यह जरूरी नहीं कि आपके लिए जो सहूलियत है वो शायद शिष्टाचार का हिस्सा न हो। उदाहरण के लिए अपने बॉस के सामने जेब में हाथ डालकर खड़े होना, मुँह में कुछ रखकर या कुछ चबाते हुए बात करना, साक्षात्कार देते समय पैन या अपने पैरों को हिलाना कुछ ऐसी आदतें हैं जिनमें सुधार लाने की आवश्यकता होती है।
हाव-भाव की भाषा
संवाद के साथ-साथ चेहरे और शरीर के हाव-भाव का भी खासा महत्त्व होता है। बात करते समय कंधे उचकाना या चेहरा बनाना सामने वाले व्यक्ति को असहज महसूस करा सकता है। इसके अतिरिक्त खड़े-खड़े हिलना, पैर हिलाना या ऐसी ही कोई और हरकत करना सामने वाले में चिड़चिड़ाहट पैदा कर सकती है। पेशेवर जीवन पर इनका असर पड़ता है। इस तरह की हरकतें करने वालों से लोग बात करते समय कतराते हैं। यदि आप में इस प्रकार की कोई आदत है तो उसमें सुधार करने का प्रयास करें।
तरक्की में भाषा का महत्त्व
बोलचाल की भाषा ही व्यक्ति के व्यक्तित्व और ज्ञान का विकास करने में सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। विशेष रूप से आज के दौर में संवाद पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है। अगर भाषा ही सही नहीं होगी तो संवाद कैसे बेहतर हो सकता है। कई लोगों के बोलने में उनकी क्षेत्रीय बोली की झलक नजर आती है। किसी साक्षात्कार में जाते वक्त भी क्षेत्रीय लहजे में बदलाव नहीं लाते। इससे छवि प्रभावित होती है। इसी के चलते अपने ऑफिस में, पेशेवर मुलाकात में या साक्षात्कार के दौरान अपनी भाषा को सामान्य रखें।
मायने रखता है पहनावा
आम तौर पर लोगों को महसूस होता है कि ऑफिस जाकर काम ही तो करना है इसलिए कुछ भी पहन लो क्या फर्क पड़ता है। ऐसा नहीं है। ऑफिस में काम करते हुए आपका पहनावा आपकी इमेज को प्रभावित करता है। हर ऑफिस में फॉर्मल्स अनिवार्य नहीं होते, ऐसे में आप जो भी पहन रहे हैं उसे सलीके से पहनें। ऑफिस में या मीटिंग के सिलसिले में किसी से मिल रहे हैं तो उस पर आपके पहनावे का असर जरूर पड़ता है।