इंदौर। नमक हराम व्यक्ति का विश्व के किसी धर्म में प्रवेश नहीं हो सकता, उक्त विचार राष्ट्रसंत कमल मुनि कमलेश ने संबोधित करते हुए कहा कि नमक हलाल बनो लेकिन नमक हराम नहीं नमक हराम राक्षस और शैतान से कम नहीं होता है।
मुनि कमलेश ने कहा कि पशु जिसका लेता है उसके प्रति पूर्ण वफादारी निभाते हुए उसकी रक्षा के लिए अपने प्राणों का न्योछावर कर देता है इंसान जिस थाली में खाता है उसी में छेद करता है वह नराधम है। उन्होंने बताया कि जीवन में वफादारी का गुण आने के बाद ही धार्मिकता में प्रवेश कर सकता है नमक हराम इस धरती पर भार है।
राष्ट्रसंत ने बताया कि वफादारी इसके अभाव में कितनी कठोर साधना कर ले चार धाम की यात्रा कर ले सारी धार्मिक क्रियाएं मुर्दे को शृंगार कराने के समान है।
जैन संत ने कहा कि नमक हराम धार्मिकता की दुहाई देता है वहआत्मा परमात्मा और धर्म के साथ सबसे बड़ी गद्दारी करता है। कौशल मुनि जी ने मंगलाचरण किया, घनश्याम मुनि जी ने विचार व्यक्त किए।
श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ महावीर नगर तिलक नगर की ओर से राष्ट्रसंत का अभिनंदन किया गया।