राजस्थान परमाणु बिजलीघर के सामाजिक सरोकार के तहत रावतभाटा मुक्तिधाम में इलेक्ट्रिक गैस शवदाह गृह बनाया गया, लेकिन इस पर शेड और छत डालना भूल गए।
मुक्तिधाम में गैस आधारित इलेक्ट्रिक गैस शवदाह गृह टेस्टिंग का कार्य 28 मार्च को पूरा हो गया था, लेकिन बिल्डिंग का काम पूरा नहीं हुआ और अब 4 महीने बीत चुके हैं। स्थिति यह कि टेस्टिंग का काम पूरा होने के बावजूद और इतनी बड़ी राशि खर्च होने के बाद भी अब तक एक भी शवदाह इलेक्ट्रिक गैस पर नहीं हुआ है। काम अब भी अधूरा कई बार पत्र लिखे, लेकिन अब तक नहीं हुई सुनवाई ठेकेदार ने कई सिविल वर्क के ले रखे हैं ठेके इसलिए मुक्तिधाम के कार्य को प्राथमिकता नहीं मिल रही लकड़ी के अंतिम संस्कार से 3000 रुपए की राशि खर्च होती है, जबकि इलेक्ट्रिक से सिर्फ 2100 रुपए की राशि खर्च होती है। सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है।
गैस आधारित शवदाहगृह के सिविल वर्क में 30 लाख और उपकरण पर 35 लाख रुपए की राशि खर्च हुई है। इसके इंटॉलेशन का कार्य पूरा हो चुका है, लेकिन बताया जाता है कि ठेकेदार ने कई कार्य सिविल वर्क के ले रखे हैं, जिसके कारण मुक्तिधाम के कार्य को प्राथमिकता नहीं मिल रही है। परमाणु बिजलीघर के सीएसआर प्रभारी पीएन प्रसाद सेवानिवृत्त हो चुके हैं अब उनकी जगह नए अधिकारी ने काम संभाला है। अधिकारी का कहना है कि ठेकेदार को निर्देशित किया जाएगा। जल्दी से काम शुरू कराया जाएगा। ^ राजस्थान परमाणु बिजलीघर की ओर से सामाजिक सरोकार के तहत गैस आधारित शवदाहगृह स्थापित कर दिया गया। यह बेहतर कार्य किया गया, लेकिन अभी तक छत नहीं डाली है।
कई बार पत्र लिखे जा चुके हैं। -जगदीश छाबड़ा, महेश पोरवाल, मुक्तिधाम समिति मुक्तिधाम समिति के सदस्यों का कहना है कि बार-बार बिजलीघर के अधिकारियों और ठेकेदार को काम पूरा करने के लिए कहा गया, लेकिन काम अब भी अधूरा है।
जब तक व्यवस्थित नहीं होगा, तब तक कोई भी अपने परिजनों का अंतिम संस्कार कैसे कर सकता है। यहां पर निर्माण सामग्री भी बिखरी हुई है। गृह कम खर्च और पर्यावरण को बचाने के उद्देश्य के लिए इलेक्ट्रिक गैस शवदाह गृह बनाया जाता है। रावतभाटा मुक्तिधाम समिति ने भी यही विचार कर बिजलीघर के सीएसआर अधिकारियों से अनुरोध किया था। इसके बाद शवदाह गृह स्थापित किया गया।