![Voice Reader](https://darshan-news.com/wp-content/plugins/magic-post-voice/assets/img/play.png)
![Stop Voice Reader](https://darshan-news.com/wp-content/plugins/magic-post-voice/assets/img/stop.png)
![Pause](https://darshan-news.com/wp-content/plugins/magic-post-voice/assets/img/pause.png)
![Resume](https://darshan-news.com/wp-content/plugins/magic-post-voice/assets/img/play.png)
उदयपुर में लगातार बारिश के चलते झाड़ोल क्षेत्र में करीब 400 साल पुराने चंद्रेश्वर महादेव मंदिर में करीब 4 फीट तक पानी भर गया है जिससे यहां बना शिवलिंग पानी में पूरी तरह डूब गया है।
शहर से करीब 60 किमी दूर झाड़ोल के चंदवास गांव के मंदिर में बारिश के दिनों अक्सर यहां ऐसी स्थिति बनती है। जब पानी धीरे-धीरे मंदिर परिसर में पहुंचता है तो मंदिर में बनी मूर्तियां जलमग्न हो जाती हैं।
इसके बावजूद पानी में डूबी शिवलिंग के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ लगी रहती है लेकिन किसी भी तरह के खतरे को देखते हुए फिलहाल भक्तों से दूर से दर्शन की अपील की गई है। क्षेत्र में मंदिर न्याय के देवता के रूप में प्रसिद्ध है।
![मंदिर में बारिश का पानी आने से जलमग्न हुई मूर्तियां।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2023/07/13/8d_1689223633.jpeg)
साल 2005 में मानसी वाकल बांध बनने के बाद यह मंदिर बांध के डूब क्षेत्र में आ गया है। ऐसे में बांध में पानी भर जाने पर पानी मंदिर के अंदर तक आ जाता है।
शिवरात्रि तक यही स्थित देखने को मिलती है इसके बाद बांध में जलस्तर कम होने से मंदिर में भी पानी नहीं होता। बांध के ओवरफ्लो होने पर मंदिर करीब 10 फीट तक डूब जाता है।
वर्ष 1590 में बंजारे ने कराया था मंदिर का निर्माण
जानकारी अनुसार, इस मंदिर का निर्माण वर्ष 1590 में एक बंजारे ने करवाया था। तभी से मान्यता थी कि क्षेत्र में किसी भी प्रकार का वाद-विवाद या कोई मामला होता था तो उसका निर्णय महादेव करते थे। झूठ और सच का निर्णय शिवलिंग पर हाथ रख कर सौगन्ध दिलाकर करते थे।
![समिति सदस्य चेतन लोलावत ने बताया कि मानसी वाकल बांध के पूर्ण भराव क्षमता तक भर जाने पर यह मंदिर जलमग्न हो जाता है।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2023/07/13/0g_1689223743.jpeg)
मंदिर समिति सदस्य चेतन लोलावत ने बताया कि मानसी वाकल बांध के पूर्ण भराव क्षमता तक भर जाने पर यह मंदिर जलमग्न हो जाता है।
हर वर्ष बारिश के दौरान शिवालय जलमग्न होता है। शिवरात्रि के समय बांध का पानी खाली होने पर भक्त मंदिर के अंदर जाकर दर्शन कर पाते हैं।
![Pari Jain dungla](https://secure.gravatar.com/avatar/f7d11d03b15b9f52d8875bed2162e5ce?s=96&r=g&d=https://darshan-news.com/wp-content/plugins/userswp/assets/images/no_profile.png)