- कमीशन का कोडवर्ड . प्रसाद चढ़ाओ, भगवान प्रसन्न होंगे… करोड़ों की चल-अचल संपति के दस्तावेज मिले, 1 लॉकर की तलाशी बाकी
एक करोड़ की सड़कों के बिल पास कराने की एवज में ठेकेदार से 4 लाख रुपए रिश्वत लेते हुए पकड़े पीडब्ल्यूडी एक्सईएन आरएल लखारा ने ठेकेदारों के लिए कोड वर्ड बना रखा था – प्रसाद चढ़ाओ तो भगवान प्रसन्न होंगे। एसीबी ने ट्रैप के बाद उसके चित्तौड़, उदयपुर आवास और एक लॉकर की तलाशी ली तो इस प्रसाद का जखीरा मिलने लगा। उदयपुर में घर पर नोट गिनने की मशीन के साथ 24 लाख और एक लॉकर में 42 लाख रुपए से अधिक नकदी और भारी निवेश के दस्तावेज मिले। अभी एक लॉकर की तलाशी और होगी।
एसीबी के अतिरिक्त महानिदेशक हेमंत प्रियदर्शी ने बताया कि उसके घर व ठिकानों से अब तक कुल 68 लाख 71 हजार नकदी के अलावा करोड़ों रुपए की चल अचल संपत्तियों के दस्तावेज मिले हैं। लखारा को बुधवार रात उसके चित्तौड़गढ़ में सरकारी क्वार्टर पर रिश्वत के साथ गिरफ्तार किया था। जहां तलाशी में चार लाख के अलावा करीब 1.30 नकदी और मिली थी। डीआईजी उदयपुर राजेंद्रप्रसाद गोयल के सुपरविजन में एएसपी उमेश ओझा के नेतृत्व में टीमों ने सेक्टर 14 स्थित आशुतोषपुरम में मकान की तलाशी ली।
इसमें 24.57 लाख नकदी, नोट गिनने की मशीन, अचल संपत्ति में 10 भूखंड, 2 मकान, 3 कृषि भ्ूमि, 3 चारपहिया वाहन, 2 दो पहिया वाहन व 2 बैंक लॉकर की जानकारी मिली। बैंक आफ इंडिया के लॉकर में 42.84 लाख रुपए नकद, 14.81 लाख के सोने चांदी के आभूषण मिले। आईजी सवाईसिंह गोदारा के निर्देशन में आरोपी से पूछताछ जारी है। आय से अधिक संपति का भी प्रकरण दर्ज कर अग्रिम अनुसंधान किया जाएगा। उसे उदयपुर कोर्ट में पेश कर 3 दिन के रिमांड पर लिया गया है।
पत्नी ने गेट नहीं खोला, आरोपी से फोन कराने के बाद ही खुला… यहां से सिग्नल मिलते ही उसके उदयपुर आवास पर भी एसीबी पहुंच गई थी। मकान का दरवाजा अंदर से बंद था। काफी देर तक खटखटाने व खोलने के आग्रह के बाद भी उसकी पत्नी ने दरवाजा नहीं खोला। तब लखारा से कहलवाना पड़ा। इसके बाद सर्चिंग शुरू हुई, जो गुरुवार शाम तक जारी रही।
वर्कऑर्डर के बाद काम में आ रही परेशानी दूर नहीं कि, देरी पर कहा कि प्रसाद चढ़ाओ सूत्रों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2022-23 में 10 करोड़ की सड़कें स्वीकृत हुईं। इसमें 7 एसआरएफ व कुछ डीएमएफटी की हैं। दिसंबर में वर्कऑर्डर जारी होने के बाद फर्म को मई तक काम करना था। ठेकेदार ने कार्य शुरू करना चाहा तो पता चला कि अतिक्रमण की समस्याएं आ रही हैं। जीडब्ल्यूएमएस सॉफ्टवेयर आई में एईएन की आईडी भी शो नहीं हो रही थी। ठेकेदार ने जयपुर पहुंचकर सही करवाया। इससे काम विलंब हो गया। दो करोड़ के कार्य पहले हो गए थे। अब जो एक करोड़ के काम बाकी थे। उसमें 2 प्रतिशत कमीशन तय हुआ। ठेकेदार के अनुसार पहले सेटलमेंट के रूप में लखारा ने डेढ़ लाख रुपए लिए। फर्म ने मार्च अंत में बिल सब्मिट कर दिए। प्रोसेस आगे नहीं बढ़ने पर एक्सईएन से संपर्क किया तो लखारा बोला कि अब तो प्रसाद चढाओ, भगवान प्रसन्न होंगे। उसे फोन पर बिल के लिए कोई कहता तो यही कहता कि आओ पहले मिलो।