- बल्लियों पर टिकी विश्व विरासत
भास्कर संवाददाता | चित्तौड़गढ़ चित्तौड़ दुर्ग को वर्ष 2013 में विश्व विरासत का दर्जा तो मिल गया, लेकिन इसके संरक्षण के लिए काम में रुकावटें आ रही हैं। यहां रतनसिंह महल जर्जर हो गया। दूसरी मंजिल के दरवाजे पर लकड़ी की बल्लियां लगाकर बंद कर रखा है। छत की पट्टियां बल्लियांे के सहारे टिका रखी है। दो कमरे ज्यादा जर्जर होने से कभी भी ढह सकते हैं। रतन सिंह महल में 7 साल पहले दो फिल्मों की शूटिंग हुई थी। महल के संरक्षण के तत्कालीन महानिदेशक ने 80 लाख तक का बजट मंजूर करने के निर्देश दे दिए थे, लेकिन टेंडर प्रक्रिया उलझन से अब तीसरी बार भी पूरी नहीं हो पा रही है। अब पुरातत्व विभाग के इंजीनियर देखेंगे कि महल को संरक्षित रखने के लिए क्या-क्या कार्य किए जाए। विश्व विरासत का दर्जा मिलने के बाद संरक्षण व विकास सहित पर्यटकों की सुविधा के लिए पुरातत्व विभाग गंभीर हुआ। अलग-अलग इमारतों के संरक्षण के लिए प्रस्ताव स्वीकृत किए। प्रस्ताव के अनुसार हर साल एक करोड़ खर्च होते है। इसके बावजूद रतनसिंह महल के संरक्षण का काम शुरू नहीं हो पाया है। दुर्ग पर दक्षिण दिशा में यह महल अपनी अलग पहचान रखता है। पांच साल पहले चित्तौड़ में फोर्ट फेस्टिवल शुरू हुआ। लाइटिंग से महल खूबसूरत नजर आया। तालाब के पास महल पर लाइटिंग से यह लेक पैलेस जैसा दिखने लगा तो तत्कालीन कलेक्टर ने तत्कालीन पुरातत्व विभाग की महानिदेशक को फोटो भेजे। इस पर 80 लाख तक के बजट स्वीकृत करने के निर्देश दे दिए थे। ठेकेदारों ने बजट से ज्यादा की राशि भर दी। इससे टेंडर प्रक्रिया अटक गई। वर्ष 2019 के बाद फिर दूसरी बार टेंडर प्रक्रिया शुरू हुई, लेकिन लॉक डाउन के चलते प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी। जब 80 लाख के संरक्षण कार्यों के प्रस्ताव दिल्ली मुख्यालय भेजे तो कई तकनीकी कमियां टेंडर प्रक्रिया में बताई। अधिकारियों ने तय किया कि मंडल कार्यालय स्तर तक 50 लाख के प्रस्ताव के पावर देखते हुए पुरातत्व विभाग तीसरी बार 50 लाख तक के प्रस्ताव बनाए। विभाग का तर्क है कि एक बार इंजीनियर मौके देखेंगे, इसके बाद टेंडर की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी होगी।
चित्तौड़गढ़ . लोगों का प्रवेश रोकने के लिए रतनसिंह महल के दरवाजे पर लगी बल्लियां। निर्माण सामग्री को लेकर पुरातत्व विभाग की दोहरी नीति दुर्ग पर संरक्षण कार्यों को लेकर पुरातत्व विभाग के दोहरे मापदंड हैं। दुर्गवासियों का कहना है कि पुराने मकान जर्जर होने पर मरम्मत के लिए अनुमति नहीं मिलती है। निर्माण सामग्री ले जाने पर विभाग ने रोक लगा रखी है। वहीं, एएसआई के स्वीकृत कार्यों के लिए यह पाबंदी नहीं है। ^दुर्ग पर रतनसिंह महल के संरक्षण के लिए विभाग तैयार है। जिस जगह ज्यादा खतरा है, वहां बल्लियां लगाकर रास्ता बंद कर रखा है। अब तीसरी बार टैंडर प्रक्रिया होगी। इंजीनियर भी शीघ्र आएंगे। -प्रेमचंद शर्मा, संरक्षण सहायक एएसआई