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बच्चों और पेरेंट्स को करेंगे जागरूक:राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य बोले, बच्चों को पता होना चाहिए उनके अधिकार

राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य राजीव मेघवाल आज चित्तौड़गढ़ दौरे पर रहे। इस दौरान मीडिया से बात करते हुए उन्होंने चित्तौड़गढ़ में भिक्षावृत्ति और चाइल्ड लेबर को खत्म करने के लिए शुरू होने वाले योजना के बारे में जानकारी दें। - Dainik Bhaskar

राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य राजीव मेघवाल आज चित्तौड़गढ़ दौरे पर रहे। इस दौरान मीडिया से बात करते हुए उन्होंने चित्तौड़गढ़ में भिक्षावृत्ति और चाइल्ड लेबर को खत्म करने के लिए शुरू होने वाले योजना के बारे में जानकारी दें।

राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य राजीव मेघवाल ने कहा कि चित्तौड़गढ़ को बाल भिक्षा मुक्त और चाइल्ड लेबर मुक्त बनाने के लिए नया अभियान शुरू करेंगे। इसमें तीन महीने तक सभी बच्चों को जागरूक किया जाएगा। इसमें ब्लॉक लेवल पर टीम तैयार कर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने चित्तौड़गढ़ में जिन बच्चों का तस्करी में यूज किया जा रहा है, उसको लेकर गंभीरता दिखाई।

आयोग के सदस्य राजीव मेघवाल चित्तौड़गढ़ जिले में दो दिन के दौरे पर है। इस दौरान उन्होंने हॉस्पिटल, स्कूल, आंगनवाड़ी केंद्र और बाल संरक्षण गृह का निरीक्षण किया। एक तरफ जहां वे हॉस्पिटल की व्यवस्था देखकर खुश हुए, वहीं, दूसरी ओर स्कूल और आंगनबाड़ियों में बच्चों में जागरूकता नहीं देखकर निराशा भी जताई।

भिक्षा वृत्ति और चाइल्ड लेबर को खत्म करने के लिए ग्राउंड लेवल पर होगी कार्रवाई

राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य राजीव मेघवाल ने बताया कि चित्तौड़गढ़ में बाल विवाह, बाल भिक्षा वृत्ति और चाइल्ड लेबर को खत्म करने के लिए ब्लॉक लेवल से एक शुरुआत करने वाले हैं। उन्होंने कहा कि शुरू के 3 महीने जागरूकता का काम किया जाएगा। इस दौरान कल शनिवार को थानों से संपर्क किया जाएगा और पता किया जाएगा कि कौन से मामले किस क्षेत्र में सबसे ज्यादा है। अफीम की खेती के लिए चित्तौड़गढ़ काफी फेमस है। यहां से तस्करी भी की जाती है, जिसमें बच्चों का भी यूज किया जाता है। ऐसे में बच्चे धारा 78 में फंस जाते हैं। JJ ACT का क्या प्रावधान है, वह सब बच्चों को बताया जाएगा। भिक्षावृत्ति और चाइल्ड लेबर से जुड़े हुए बच्चों और उनके अभिभावकों को शुरू के 3 महीनों में यह बताया जाएगा कि इससे कौन-कौन सी सजा मिलती है। इसकी जानकारी देनी होगी ताकि बच्चे और उनके पेरेंट्स इस मामले की गंभीरता को समझ सके। ब्लॉक लेवल पर एक टीम बनाई जाएगी, इसमें तहसीलदार और एसडीएम को भी ग्राउंड लेवल पर काम करना होगा।

सदस्य राजीव मेघवाल को हॉस्पिटल में बच्चों की जानकारी देते हुए डॉ और नर्सिंग स्टाफ।
सदस्य राजीव मेघवाल को हॉस्पिटल में बच्चों की जानकारी देते हुए डॉ और नर्सिंग स्टाफ।

बाल गृहों के बजट रुके, मेघवाल बोले-वात्सल्य पोर्टल पर काम होते ही रिलीज होगा फंड

उन्होंने जिले में संचालित बाल देखरेख संस्थानों का भी निरीक्षण किया। यहां संचालित दो बाल देखरेख संस्थानों में पिछले 24 महीनों से बजट जारी नहीं किया गया। इसको लेकर संस्थान संचालकों ने मेघवाल को अपनी समस्या बताई। संचालकों ने कहा कि बजट नहीं होने के कारण बच्चों के देखरेख में भी काफी प्रॉब्लम हो रही है। इस पर राजीव मेघवाल ने बताया कि वात्सल्य पोर्टल पर काम हो रहा है। जल्दी इसका काम खत्म होते ही फंड रिलीज हो जाएगा। चित्तौड़गढ़ में ही नहीं बल्कि राजस्थान के कई क्षेत्रों में यह प्रॉब्लम हो रही है। बीते दिनों उदयपुर में भी यही शिकायत सुनने को मिली है, फिर भी मैं आगे तक यह बात जरूर रखूंगा।

हॉस्पिटल की व्यवस्था देख कर खुश हुए

राजीव मेघवाल ने बताया कि महिला एवं बाल हॉस्पिटल में जिस तरह से बच्चों के लिए हर सुविधा रखी हुई है, वह संतोषजनक है। उन्होंने कहा कि पहली बार ऐसा बाल चिकित्सालय देखा, जहां बच्चों के लिए हर एक डिटेल में चीजें लिखी हुई है। बच्चों के लिए और प्रसव के दौरान महिलाओं के लिए हर सामान उपयुक्त मौजूद है। उन्होंने कहा कि कुपोषित बच्चों को लेकर एक चीज अच्छी लगी कि जब उनको डिस्चार्ज दिया जाता है तो उनके पेरेंट्स के अकाउंट में पर डे के हिसाब से 250 रुपए जमा कर दिया जाता है। मेघवाल यहां हॉस्पिटल आकर सभी व्यवस्थाओं को देख कर खुश हुए। वहीं, दूसरी ओर आंगनवाड़ी और स्कूल के निरीक्षण में वे असंतोष नजर आए।

बच्चों के रूटीन और डाइट की लिस्ट देखते हुए राजीव मेघवाल।
बच्चों के रूटीन और डाइट की लिस्ट देखते हुए राजीव मेघवाल।

बच्चों को पता हो उनके अधिकार

राजस्थान राज्य अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य राजीव मेघवाल ने बताया कि स्कूल और आंगनबाड़ी में बच्चों को अभी भी जागरूक होने की बहुत ज्यादा जरूरत है। उनके अधिकारों को लेकर जब कुछ पूछा गया तो उसमें कई चीजों का उन्हें पता नहीं है। जैसे कि बच्चों की सुरक्षा के लिए बनाई गई हेल्प लाइन के बारे में ही बच्चों को पता नहीं है। इस बारे में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और स्कूल के टीचर्स को सख्त निर्देश दिए गए कि वे बच्चों को उनकी सुरक्षा से जुड़े हुए सब कुछ सिखाएं। ताकि बच्चे जागरूक हो सकें और बाल अपराध पर रोक लग सके। उन्होंने कहा कि बच्चों को अभी तक गुड टच बैड टच, चाइल्ड लाइन के बारे में भी ज्यादा कुछ पता नहीं है। ऐसे में टीचर्स को यह निर्देश दिया गया है कि शनिवार के दिन जब बच्चों का नो बैग डे रहता है, उस दिन उस बच्चों के अधिकार से जुड़े हुए एक्टिविटीज करवाएं, ताकि उनकी नॉलेज बढ़ सके। स्कूल में या कहीं पर भी बच्चों के साथ कुछ भी होता है तो उन्हें अपने अधिकारों के बारे में पता होना चाहिए। उन्होंने बताया कि कुछ स्कूलों ने मांग की है कि हेल्पलाइन का बोर्ड होना चाहिए, वह भी जल्द ही कर दिया जाएगा। इस दौरान सहायक निदेशक बाल अधिकारिता विभाग चंद्र प्रकाश जी नगर, सीडब्ल्यूसी की अध्यक्ष प्रियंका पालीवाल, सीडब्ल्यूसी की सदस्य सीमा भारती मौजूद थे।

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