बड़ीसादड़ी। श्रमण संघीय महासाध्वी वैभव श्री जी महाराज साहब एवं मधुर गायिका प्रांजल श्री महाराज आदि ठाणा-2 के पावन सानिध्य में महासती गुरणीवर्या शांति देवी मसा की 94 वीं जन्म जयंती महोत्सव एकासन एवं सामायिक दिवस के रूप में धर्म आराधना के साथ मनाई गई ।
जैन दिवाकर सामायिक भवन में सुबह 9.00 बजे से आयोजित गुणानुवाद सभा में महासाध्वी वैभव श्री मसा ने फरमाया कि जब कोई परेशानी आती है विपदा आती है तभी हम गुरु को याद करते हैं परमात्मा को याद करते हैं। और जब परेशानी, विपदा दूर हो जाती है तो हम उनको भी भूल जाते हैं। अर्थात भगवान को भी भूल रहे हैं और गुरु को भी भूल रहे हैं।
सिर्फ गुरु की तस्वीर लगाने से तकदीर नहीं बनती। तकदीर तो उनके बताए गए मार्ग पर चलने से उनका मन से स्मरण करने से बनती है। इसलिए गुरु का स्मरण हर क्षण हर पल मन में रहना चाहिए।
गुरुणीवर्या सरलता और सहजता की मूर्ति थी। महासती ने गुरूणीवर्या का जीवन परिचय जन्म दीक्षा से लेकर देवलोकगमन तक का परिचय अपने सब्दो में सुनाया। आगे कहा कि माता पिता और गुरु के उपकार को कभी भी भूलना नही चाहिए । आज हम जो भी है उनके ही आशीर्वाद से है।
मधुर गायिका प्रांजल श्रीजी महाराज ने भजनों एवं विचारों से गुरूणीवर्या के गुणानुवाद किये। सभी एकासन करने वाले तपस्वियों के पारणे की व्यवस्था कंठालिया परिवार की ओर से रखी गई। एवं गुप्त परिवार द्वारा सभी को प्रभावना वितरित की गई। प्रवचन सभा में प्रश्न मंच का आयोजन भी किया गया।
*17 अगस्त को आयंबिल दिवस*
ऑल इंडिया श्वेतांबर स्थानाकवासी जैन कॉन्फ्रेंस नई दिल्ली के तत्वावधान में राष्ट्रसंत श्रमण संघीय द्वितीय पट्टधर आचार्य सम्राट आनंद ऋषि महाराज कि 123 वीं जन्म जयंती के उपलक्ष में दिनांक 17 अगस्त गुरुवार को देशभर में 108000 सामूहिक आयंबिल दिवस रूप मे मनाने का निर्णय लिया है ।