भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी ने मंगलवार को लोकसभा क्षेत्र की राजनीति में एक इतिहास रच दिया। वे चित्तौड़गढ़ लोस सीट के 72 साल के इतिहास में जीत की हैट्रिक लगाने वाले पहले प्रत्याशी बन गए। इस बार टक्कर होने, पार्टी में अंर्तविरोध व उदासीनता जैसी तमाम अटकलों व कयासों को झुठलाते हुए उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी उदयलाल आंजना को 3 लाख 89 हजार 877 वोट के अंतर से हराया।
हालांकि यह मार्जिन गत चुनाव 2019 से 13.56 % और 2014 से भी करीब 1% कम है। जोशी के तीनों चुनावों की बड़ी समानता यह रही कि उन्होंने तीनों बार संसदीय क्षेत्र के आठों विस क्षेत्र से लीड ली। प्रतिद्वंदी पूर्व मंत्री आंजना अपने स्वयं के गृह विस क्षेत्र निम्बाहेड़ा से भी बढ़त नहीं ले सके। यह जरूर है कि उन्होंने गत बार यानी 2019 की तुलना में कांग्रेस का वोट शेयर 5.4% बढ़ाया। वहीं जोशी के इस बार पार्टी प्रदेशाध्यक्ष होते हुए भी वोट शेयर 8.16% कम हो गया।
मिथक जो टूटा… प्रत्याशी के तीसरी बार नहीं जीतने का
जोशी ने चित्तौड़ लोस से किसी प्रत्याशी के तीसरी बार नहीं जीतने का मिथक तोड़ दिया। यहां 1952 से अब तक पार्टियों की जीत की हेट्रिक तो बनी पर अब तक कोई प्रत्याशी तीसरी बार नहीं जीत पाया। कांग्रेस से स्व. माणिक्यलाल वर्मा व निर्मला कुमारी शक्तावत, भाजपा से स्व. मेजर जसवंतसिंह व श्रीचंद कृपलानी दो-दो बार सांसद बने पर तीसरी बार हार गए।
अब दिल्ली की ओर
सीपी जोशी अभी पार्टी प्रदेशाध्यक्ष है। विस चुनाव बाद ब्राह्मण चेहरा भजनलाल के सीएम बनने के साथ ही प्रदेशाध्यक्ष बदलने की अटकलें शुरू हो गई थीं, पर केंद्रीय नेतृत्व ने लोस चुनाव तक कोई बदलाव नहीं किया। फिर मोदी सरकार बनी तो अब उनके केंद्र में मंत्री बनने की उम्मीद है। चर्चा है कि यदि केंद्र में मंत्री पद नहीं मिला तो केंद्रीय संगठन में जिम्मेदारी मिल सकती है।