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55 साल पुराने स्टूडेंट-टीचर से मिले कटारिया, गाना भी गाया:स्टूडेंट बोले-वे हमारे लिए बैल चलाते, इनकी पिटाई से डर लगता था

असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया शनिवार को झाड़ोल गांव पहुंचे। ये वो गांव है जहां कटारिया ने 55 साल पहले बतौर टीचर अपने करियर की शुरुआत की थी।

इसके लिए कटारिया ने कुछ दिनों पहले जब वे असम में थे, तभी अपने पुराने स्टूडेंट और टीचर को कॉल कर बता दिया था कि वे सभी के लिए एक कार्यक्रम रख रहे है,जिसमें उनसे पढ़े स्टूडेंट और साथ काम करने वाले टीचर रहेंगे।

दरअसल, 13 जुलाई 1968 को गुलाबचंद कटारिया ने झाड़ोल के विद्यापीठ स्कूल में बतौर भूगोल के टीचर पर जॉइन किया था। यहां तीन साल उन्होंने सेवा दी। ऐसे में कटारिया ने 13 जुलाई का ही दिन चुना।

इस कार्यक्रम में जब स्टूडेंट ने अपने टीचर को देखा तो कई पुराने यादगार किस्से सुनाए। इतना ही नहीं स्टूडेंट ने जब बताया कि आप प्रार्थना सभा में गीत गाते थे तो कटारिया ने माइक उठाया और स्टूडेंट की फरमाइश पर गीत भी गाया।

कार्यक्रम में आए कटारिया के स्टूडेंट हमरेलाल पंड्या ने भी पुरानी यादों का जिक्र करते हुए बताया कि- जब हम खेत में जाते थे तो कटारिया जी बैल चलाते थे। इतना ही नहीं उदयपुर में जब कॉलेज एडमिशन लिया तो साइकिल से लेने और छोड़ने तक आते थे।

कटारिया बोले, जिन बच्चियों को मैंने पढ़ाया वे गृहस्थी चला रही हैं

इस कार्यक्रम में 200 लोग थे, जिनमें 150 स्टूडेंट और 50 उनके साथ स्कूल में पढ़ाने वाले टीचर और कुछ गांव के लोग, जिनके बीच वे रहे। कटारिया ने कार्यक्रम में कहा- आज ही की तारीख थी, जब मैंने करीब 55 साल पहले यहां एक शिक्षक के रूप में जॉइन किया।

संयोग से असम से मैं उदयपुर आया हुआ हूं और आज इसी दिन को खास बनाने के लिए मन में आया कि उस समय मेरे साथ रहने वाले सभी शिक्षक, स्टाफ, स्टूडेंट और जिनके घरों में मै किराए रहा उन सबको निमंत्रण देता हूं और उनके बीच समय बिताता हूं। आज का यह दिन ऐतिहासिक है। यहां कई स्टूडेंट हैं, जिन्हें मैंने पढ़ाया और वो आज इस कार्यक्रम में है। कुछ बच्चियां है तो आज अपना घर संभाल रही है और कुछ उदयपुर से बाहर है।

कटारिया जब झाड़ोल के राजस्थान विद्यापीठ स्कूल में टीचर थे तब उन्हें संघ की शाखा चलाने पर स्कूल से निकाल दिया गया था। इसी विद्यापीठ के कुलपति प्रोफेसर एसएस सारंगदेवोत भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए और कटारिया का अभिनंदन किया।

इस दौरान कटारिया ने स्टूडेंट के ​बीच.. कही पर्वत झुके भी है, कही दरिया रूके भी है, नहीं रुकती रवानी है, नहीं झुकती जवानी है… गीत भी गाया।

स्टूडेंट बोले-ऐसा नक्शा बनाते जैसे प्रिंटेड हो

कार्यक्रम में कटारिया के स्टूडेंट रहे हमेरलाल पंड्या भी पहुंचे। वे उदयपुर के गिर्वा में ब्लॉक शिक्षा अधिकारी के पद से रिटायर्ड हो चुके है। पंड्या ने बताया कि उन्होंने मुझे कक्षा 9 से 11वीं तक पढ़ाया। 55 साल बाद मुझे गुरुजी ने याद किया तो भावुक हो गया।

उन्होंने अपने गुरु कटारिया के किस्सों को शेयर करते हुए बताया- उस समय कटारिया हमे भूगोल पढ़ाते थे। वे ब्लैक बोर्ड पर ऐसा नक्शा बनाते थे कि मानो प्रिंटेड हो, उसमें किसी भी प्रकार की गलती नहीं होती थी। उनकी खासियत थी कि वे रोजाना प्रार्थना सभा में एक देशभक्ति गीत सुनाते थे। बाद में वे हमारे गांव गोगला में आए और संघ की शाखा शुरू की। दो महीने तक वे लगातार गांव आए।

हमारे सिर पर रचका होता तो कटारिया बैल संभाल लेते
हमेरलाल कहते है​ कटारिया इतने सहज थे कि वे हर किसी में हाथ बढ़ाते थे। उन्होंने बताया- जब कटारिया हमारे गांव आते थे शाखा चलाने तब वे हमारे खेतों पर रहते और हम सब साथ ही भुट्टे खाते थे। शाम को जब हम खेत से पशुओं के लिए घास सिर पर लेकर आते थे तो हमारे पास बैल होते थे। कटारिया जी हमारे बैल संभालते थे। उनका और हम लोगों का पारिवारिक रिश्ता बन चुका था।

इसके बाद हम पढ़ने के लिए उदयपुर गए तो गुरुजी ने हमें कुम्हारवाड़ा इलाके में 25 रुपए महीने किराया कमरा दिलाया और श्रमजीवी कॉलेज में एडमिशन कराया। हम नए थे और रास्ता जानते नहीं थे तो तीन से चार दिन कटारिया जी हमे साइकिल पर घर लेने आते थे और छुट्टी होने के बाद वे साइकिल से दोबारा कमरे पर छोड़ते थे।

उदयपुर से भी स्टूडेंट कार्यक्रम में पहुंचे, बोले-लेट होने पर पिटाई करते थे

कार्यक्रम के कटारिया के स्टूडेंट रहे निर्मल पोखना भी उदयपुर से झाड़ोल गए। उन्होंने बताया- वे 1970 से 1974 तक सातवीं से दसवीं तक कटारिया के पास पढ़े। पोखरना ने आज संचालन करते हुए कहा कि हमे कटारिया ने अनुशासन और सच्चाई को लेकर जो संस्कार दिए, उसे हमने जीवन में उतारा। आज हमें यह कहते हुए गर्व है कि हमारे गुरु, विधायक, मंत्री रहे और राज्यपाल हैं।उन्होंने पुरानी यादों को शेयर करते हुए बताया- जब हमारे भूगोल के पीरियड की घंटी बजती और जिस दिन हम उनके पीरियड में लेट पहुंचते तो कटारिया जी हमारी पिटाई करते थे। वे अनुशासन को लेकर सख्त थे, वे कहते थे कि क्लास जब चलती हो तब बाहर नहीं जाएंगे। पोखरना कहते थे कि वे सहपाठियों के साथ बोर तोड़ने चले जाते और हमारे गुरु कटारिया जी के आने से पहले क्लास में पहुंच जाते थे। कटारिया समय के तब भी पाबंद थे और आज भी है।

Darshan-News
Author: Darshan-News

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