टेरिटरी में लेपर्ड घुस आया तो रणथंभौर की चर्चित और सबसे बूढ़ी बाघिन टी-39 नूर हमलावर हो गई। वह उसका शिकार करने के लिए पेड़ पर चढ़ गई। पर्यटकों को रोमांच से भर देने वाले इस एनकाउंटर का वीडियो भी सामने आया है। वाकया सोमवार शाम का है।
दरअसल, रणथंभौर के जोन नंबर-6 में टूरिस्ट को बाघिन नूर के दीदार हुए। यहीं पास में लेपर्ड का भी मूवमेंट था। अपनी टेरिटरी में घूम रहे लेपर्ड पर बाघिन की नजर पड़ी तो वह हमलावर हो गई। वह लेपर्ड का शिकार करने के लिए दौड़ी। हमला होते देख लेपर्ड जान बचाने के लिए पेड़ पर चढ़ गया। टूरिस्ट दो शिकारी जानवरों की यह ‘मुठभेड़’ देखकर रोमांचित थे।
नूर 8 सेकेंड में पेड़ पर चढ़ी, 150 टूरिस्ट हुए रोमांचित
8 सेकेंड में बाघिन भी पेड़ पर चढ़ गई। हालांकि लेपर्ड तेजी से पेड़ की ऊंचाई पर चला गया। बाघिन ज्यादा ऊपर नहीं चढ़ पाई। इस दौरान करीब 150 टूरिस्ट मौजूद थे। बता दें कि इससे पहले बाघ योद्धा महज पांच सेकेंड में कुत्ते का शिकार कर चुका है। वहीं, बाघ T-120 लेपर्ड का शिकार कर चुका है।
एक्सपर्ट बोले, बाघिन का पेड़ पर चढ़ना रेयर
रणथंभौर के वाइल्ड लाइफ विशेषज्ञ डॉ. धर्मेंद्र खांडल का कहना है कि टाइगर का वजन 300 से 400 किलो तक होता है। भारी होने की वजह से बाघ-बाघिन पेड़ पर नहीं चढ़ पाते हैं। वहीं इनकी शारीरिक संरचना बड़े शिकार के हिसाब से बनी होती है। इनका शिकार सांभर, डियर, नील गाय जैसे जानवर होते हैं। इसलिए पेड़ पर टाइगर नहीं चढ़ पाता है। लेपर्ड का वजन 100 किलो के करीब होता है। उसकी शारीरिक संरचना छोटी होती है, जिसकी वजह से वह आसानी से पेड़ पर चढ़ जाता है।