राइट टू हेल्थ बिल के विरोध को लेकर निजी अस्पताल संचालक झुकने को तैयार नहीं हैं। विरोध के दूसरे दिन 12 फरवरी को भी निजी अस्पतालों ने चिरंजीवी और आरजीएचएस के तहत मरीज भर्ती नहीं किए। जो पहुंचे उन्हें भी लौटा दिया। नतीजतन योजना में आने वाले सभी मरीजों को एमबी सहित अन्य सरकारी अस्पतालों में जाना पड़ रहा है।
हालांकि रविवार होने के कारण अस्पतालों में कम मरीज पहुुुंचे, लेकिन सोमवार को भी परेशानी होना तय है। उदयपुर में 21 से ज्यादा अस्पताल योजना से जुड़े हैं। जिनमें रोजाना 1200 से ज्यादा मरीज भर्ती होते हैं। इनका सारा भार सरकारी अस्पतालों पर पड़ेगा। इधर, डॉक्टरों ने 32 पेज के इस बिल में 49 पेज का संशोधन दिया है। वहीं बिल के विरोध में बनाई गई कमेटी ने रविवार को जयपुर में कांफ्रेंस कर कहा कि बिल किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं है। फिर भी सरकार लाना ही चाहती है तो बिना बदलाव नहीं लाया जा सकता।
निजी अस्पतालों के सबसे बड़े 5 सवाल
ये न हो; चिरंजीवी में इंश्योरेंस कंपनी से सरकारी अस्पतालों को पैसा क्यों?
ऐसा क्यों; निजी हॉस्पिटल सभी खर्च खुद उठा रहे तो भी सरकारी के समान ही पैकेज।
ये भी हो; विवाद के लिए गठित समितियों में चिकित्सक संवर्ग का प्रतिनिधित्व मिले।
भार क्यों; इमरजेंसी में मरीज को दिए फ्री ट्रीटमेंट का पुनर्भरण कहां से होगा।
ये कैसे होगा; झूठी सूचना देने वालों पर क्या कार्रवाई होगी।