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दूसरों को जीवन जीने की कला सिखाने वाली ज्योति खुद जीवन छोड़ गई

                                                                                  गमहीन हुआ बड़वाई गांव, सेकड़ो नम आंखों ने ज्योति को दी अंतिम विदाई, बेटी जीनल मासूम बेटे मोनू ने दिया अर्थी को कंधा

डूंगला/चित्तौड़गढ़ (रवि श्रीमाली) ईश्वर के बनाए जीवन को कोई बदल नहीं सकता लेकिन कहीं-कहीं प्रभु की लीला ऐसा दर्द दे जाती है जिसे भूलना मुश्किल हो जाता है, भगवान को भी लोग कोसते नजर आते हैं कि ईश्वर तूने यह क्या कर दिया । ऐसा ही हुआ चित्तौड़गढ़ जिले के डूंगला तहसील के गांव बड़वाई हीरालाल श्रीमाली की पुत्रवधू पीटीआई शिक्षक राकेश श्रीमाली की धर्मपत्नी ज्योति श्रीमाली का अचानक ह्रदय गति रुकने से निधन हो जाने ने पूरे परिवार को तोड़ कर रख दिया । गांव की इस घटना पर हर आंख नम थी पूरे गांव में कहीं चुल्हा तक नहीं जला , बच्चे से लगाकर बूढ़े तक ज्योति की प्रशंसा के पुल बांधते नजर आये । ज्योति श्रीमाली ने अपने जीवन काल में कभी किसी की निंदा , आलोचना करने के बजाए अपने जीवन को इस तरह से ढाला कि वह एक जीवन की ज्योत बन गई, चेहरे पर हमेशा मुस्कान लिए परिवार क्या आपनी सखी सहेलियों को भी जीवन जीने का तरीका व सलीका बताया करती थी ‌। ज्योति श्रीमाली का किसी से मिलना यानी वह अपने आप को धन्य महसूस करता था कि कुछ पल जीवन के हंसी खुशी में बिताए । ज्योति श्रीमाली 8 माह पूर्व वाल जैसी बीमारी से परेशान हो गई और सुखद जीवन में एक पीड़ा महसूस हुई लेकिन परिजनों ने सब कुछ न्योछावर कर दिया । सुरक्षित स्वास्थ्य के साथ इलाज हुआ और वह फिर से अपने जीवन को पटरी पर लाने के प्रयास में जुट गई । सब कुछ सही होने लगा बेटी जीनल मासूम बेटा मोनू सहित परिवार फिर से ज्योति के साथ खुशी खुशी अपना जीवन गुजारने लगे लेकिन अचानक मां का बीमार होना और कुछ ही घंटों में दुनिया से अलविदा हो जाना परिवार के लिए वज्रपात से कम नहीं था , ज्योति के ससुर हीरा लाल, काका ससुर सुरेश कुमार, पिता भवानी शंकर सहित परिवार के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे । पूरे समाज में ही नहीं अपितु जिसने भी सुना शोक संतप्त हो गया । इस घटना पर क्षेत्र के कई राजनेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ ही लोगों ने शोक संवेदना व्यक्त करते हुए परिवार को ढांढस बधाया है । ज्योति श्रीमाली ने जिस तरह का जीवन जिया वह हर किसी को नसीब नहीं होता हमेशा चेहरे पर मुस्कान वह जय श्री कृष्णा का गान लिए दूसरों को जीवन जीने की कला सिखाने वाली ज्योति खुद जीवन छोड़ गई । घटना की सूचना के बाद करौली सवाईमाधोपुर शिक्षक की ड्यूटी कर रहे पति राकेश श्रीमाली को बुलाया गया जैसे ही इस दुखद घटना की सुचना भांकरी जिला करौली पहुंची तो वहां भी विद्यालय में शोक का माहौल हो गया । स्टाफ के सदस्यों ने भी इस दुखद घड़ी में पूरी तरह से साथ होने की बात कहते हुए शिक्षक राकेश के साथ बड़वाई पहुंचकर व दुरभाष पर हिम्मत बंधाई ।

इकलौती बेटी, बहन व बहु थी ज्योति

ज्योति श्रीमाली ने 1986 में उदयपुर राजसमंद जिले के पुनावली में पिता भवानी शंकर श्रीमाली के यहां जन्म लेकर बड़वाई निवासी राजस्थान रोडवेज में कार्यरत रिटायर्ड हीरालाल श्रीमाली के पुत्र राकेश श्रीमाली से विवाह किया । जहां ज्योति श्रीमाली पिहर में भाई योगेश व रौनक दौ भाइयों की एकलौती बहन थी तो वही बड़वाई मैं भी इकलौती पुत्रवधू थी जिसने जीवन को अलविदा कह दिया ।
ज्योति की मौत ने परिवार को पूरी तरह से तोड़ कर रख दिया जैसे ही घर से अर्थी उठी कि पूरे घर में कोहराम मच गया मासूम बेटी और बेटे की कंधे पर मां को जाते देखा तो हर आंख नम हो गई । परिवार के सदस्यों को रोकना बहुत मुश्किल हो गया । लेकिन शायद ईश्वर को यही मंजूर था और वही हुआ लेकिन इस दुखद घटना पर हर व्यक्ति ने शोक संवेदना व्यक्त की है ।

Ravi Shrimali
Author: Ravi Shrimali

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