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तामसी विचारों में किया गया अमृत जैसा भोजन भी जहर बन जाता है-कमल मूनि कमलेश

चित्तौड़गढ़। आहार का विचारों के साथ गहरा संबंध है तामसी विचारों में किया गया अमृत जैसा भोजन भी जहर बन जाता है। उक्त विचार राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश ने धर्मसभा को सम्बोधित करते कहा कि आहार उदर पूर्ति के साथ साथऔषधि का काम भी करता है
मुनि कमलेश ने कहा कि तामसिक भोजन से क्रोध उत्तेजना निर्मित होती है जो हिंसा की जननी है।


उन्होंने कहा कि सात्विक विचारों के लिए सात्विक भोजन लेना जरूरी है जो ऑक्सीजन से महत्वपूर्ण है।
राष्ट्र संत ने बताया कि सात्विक आहार अपनाए बिना विश्व शांति तीन काल में स्थापित नहीं हो सकती विश्व शांति हथियारों से नहीं सात्विक आहार से संभव है।
जैन संत ने कहा कि सात्विक आहार से सद्गुण का विकास होता है प्रेम करुणा सद्भाव का संचार होता है ऐसी आत्मा में ही धर्म का निवास होता है घनश्याम मुनि जी ने मंगलाचरण किया लोकेश मुनि जी ने विचार व्यक्त किए।


समारोह की अध्यक्षता अखिल भारतीय बीरबल जैन समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगदीश वीरवाल ने की। मुख्य अतिथि के रूप में प्रकाश वीरवाल विशेष अतिथि में अखिल भारतीय जैन दिवाकर विचार मंच नई दिल्ली महिला शाखा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संगीता चिपड़ मंजू नाहटा थे। वीरवाल जैन छात्रावास के 24 बच्चों ने गर्मी की छुट्टियों में गांव गांव जाकर शाकाहार और नशा मुक्ति के लिए अलख जगाने का संकल्प लिया।

RISHABH JAIN
Author: RISHABH JAIN

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