सीताफल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में दो दिन के लिए कृषि सेमिनार का आयोजन हो रहा है। इस दौरान भीलवाड़ा खंड से अतिरिक्त निदेशक भी सेमिनार में आए। उन्होंने निरीक्षण कर बताया कि इस बार ठंड न होने और बढ़े हुए तापमान के प्रकोप ने गेहूं और सरसों की फसलों को नुकसान पहुंचाया है। इसके अलावा उन्होंने कृषि के नवाचार में हो रही समस्या के बारे में बताया। किसानों को मार्केट मिलना मुश्किल हो रहा है।
भीलवाड़ा खंड (कृषि) के अतिरिक्त निदेशक रामावतार शर्मा ने बताया कि किसान आजकल कृषि वैज्ञानिकों और अधिकारियों के माध्यम से नवाचार कर रहे हैं। नवाचार में उनका भविष्य भी है। लेकिन समस्या इस बात की आ रही है कि उन्हें मार्केट अच्छी तरह से नहीं मिल पा रहा है। उनके लिए चुनौती बन गया है। अच्छी उत्पादन होने के बाद भी अगर किसान को मार्केट नहीं मिले और अपनी फसल बेच ना पाए तो वह अगली बार वो विड्रोल कर लेता है। इसके अलावा आज एक कार्यशाला हुई, जिसमें गेहूं में हो रहे येलो रस्क की समस्या पर भी चर्चा की गई।
तापमान ने कम किया फसलों का उत्पादन
उन्होंने कहा कि इस बार बुवाई के बाद दिसंबर महीने में भी तापमान ज्यादा था। फसलों को ठंड भी नहीं मिली। गेहूं में भी वृद्धि की कमी हुई है और सरसों में शाखाओं का निर्माण नहीं हो पाया। जनवरी आखिरी तक और फरवरी में तापमान लगभग 34 से 35 डिग्री के आसपास रहा। जिससे उत्पादन में प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। गेहूं में 15 से 20 प्रतिशत के उत्पादन की कमी आएगी। जबकि सबसे में 25 से 30 प्रतिशत की उत्पादन में कमी होगी। इस बार पाला ओलावृष्टि, पाला का भी बहुत प्रभाव पड़ा है। सबसे ज्यादा प्रभाव तापमान का हुआ है।
सीताफलों की तकनीकी के बारे में बताया
सीताफल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस कृषि उपनिदेशक राजाराम सुखवाल ने बताया कि यहां दो दिन के लिए कृषि सेमिनार का आयोजन हो रहा है। फलों तकनीकी के बारे में किसानों को समझाया जा रहा है। विशेष कर सीताफल के तकनीकी के बारे में बताया जा रहा है। एक्सीलेंस में तैयार किए जा रहे पौधों के बारे में भी बताया गया है।