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हम जैसा यहां देंगे वैसा ही आगे मिलेगा,मत बढ़ाओ नफरत का अकाउंट- समकित मुनि

हिरणमगरी सेक्टर चार स्थानक में होली चातुर्मास के तहत मंगल प्रवचन

उदयपुर। जीवन में सहयोग करने वाले कम पीड़ा पहुंचाने वाले अधिक मिलेंगे। रास्ता बनाने वाले कम काटने वाले ज्यादा मिलेंगे। हम प्रतिस्पर्धा नहीं सहयोग की भावना रखे। जहां प्रतिस्पर्धा होगी वहां इंसान चाहे या नहीं लेकिन हराने की भावना आएगी और दूसरे का रास्ता काटने का प्रयास होगा। हम टांग खींचने वाले को आगे नहीं कर सकते तो हाथ पकड़ सहयोगी बना ले ताकि कोई टांग खिंचाई नहीं हो सके। ये विचार झीलों की नगरी उदयपुर में पहली बार पहुंचे आगमज्ञाता, प्रज्ञामहर्षि, वाणी के जादूगर डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने होली चातुर्मास के तहत हिरणमगरी सेक्टर-4 में श्रीवर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संस्थान के तत्वावधान में आयोजित धर्मसभा में व्यक्त किए।

पूज्य समकितमुनिजी म.सा. ने कहा कि रास्ता काटने का मतलब बनते कार्य को बिगाड़ना या उसमें विध्न उत्पन्न करना है। ये याद रखे हम जैसा यहां देंगे वैसा ही आगे मिलेगा। आत्मचिंतन करें हम यहां क्या दे रहे है। हमे जिनका सहयोग करना चाहिए उनके कार्य में व्यवधान डालते है। ऐसा करने पर व्यवधान डालने वालों की जिंदगी में भी रूकावटे आना शुरू हो जाती है। मुनिश्री ने कहा कि छोटी-छोटी बातों के लिए नफरत का अकाउंट मत बढ़ाओ अन्यथा दुर्भावना के समय आयुष्य बंध हो गया तो पता नहीं कितने जन्म बिगड़ जाएंगे। उन्होंने कहा कि हमारी जिस समस्या का समाधान घर में नहीं उसका समाधान बाहर नहीं मिल सकता। पूज्य समकितमुनिजी ने प्रेरणादायी उद्बोधन देते हुए कहा कि जिंदगी में मीठास से बहुत मिलता है। एक तरफ मां-बाप व दूसरी तरफ उनकी संपति हो तो हमेशा माता-पिता को ही चुने। अर्जुन की तरह चुनाव दुर्योधन कभी नहीं बने। दुर्योधन बनने पर माता-पिता की दौलत भले मिल जाए लेकिन मिली हुई दौलत कब खत्म हो जाए इसका पता भी नहीं चलेगा। अर्जुन बन कर माता-पिता की दुआएं मिलेगी तो हमेशा जीत में रहेंगे।

*आत्मा से सम्बन्ध जोड़ जन से बन जाए जिन*

धर्मसभा में महासाध्वी जयश्रीजी म.सा. ने कहा कि सुनाने के मौके हजार बार मिलते है लेकिन सुनने के मौके यदाकदा मिलते है। आचरांग सूत्र में भगवान महावीर ने स्वयं को जानने का सूत्र प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि हमने शरीर के साथ संबंध जोड़ रखे है लेकिन आत्मा से संबंध नहीं जोड़ पाते है। हमारे जितने भी संबंध होते है वह शरीर का शरीर से, संसार का संसार से होता है लेकिन आत्मा के साथ कोई संबंध नहीं होता। जो पुण्यात्मा होती है वह आत्मा से सम्बन्ध जोड़ परमात्मा से मुलाकात कर जन से जिन बन जाती है। हमारे जीवन का लक्ष्य शरीर से संबंध जोड़ने की बजाय जन से जिन बनने का होना चाहिए। धर्मसभा के शुरू में गायनकुशल जयवंतमुनिजी म.सा. ने ‘आप रो ये दर्शन गुरूवर लागे प्यारा’ भजन की प्रस्तुति देकर माहौल को भक्तिपूर्ण बना दिया। धर्मसभा में प्रेरणाकुशल भवान्तमुनिजी म.सा., महासाध्वी वैभवश्रीजी, प्रांजलश्रीजी , साध्वी राजश्री, साध्वी समीक्षाश्री जी आदि ठाणा का भी सानिध्य प्राप्त हुआ। संचालन श्रीसंघ के मंत्री महेन्द्र पोखरना ने किया। सुश्रावक अनिल जारोली ने भी विचार व्यक्त किए। धर्मसभा में जैन दिवाकर महिला परिषद चित्तौड़गढ़ की अध्यक्ष अंगूरबाला भड़कत्या सहित भीलवाड़ा, मैसूर आदि स्थानों से आए श्रावक-श्राविकाएं भी मौजूद थे।

*उदयपुरवासियों की भावना आप यहां चातुर्मास करों*

धर्मसभा में पूज्य समकितमुनिजी म.सा. ने कहा कि मेरठ से चलकर होली चातुर्मास के लिए उदयपुर आए। उदयपुरवासियों की भक्ति भावना ऐसी रही कि विहार यात्रा की सारी थकान ही मिट गई। ऐसा माहौल बनाया है जैसे लग रहा चातुर्मास चल रहा हो। उन्होंने उदयपुरवासियों की धर्म के प्रति समर्पित भाव की सराहना करते हुए मंगलकामना व्यक्त की। इस दौरान साध्वी जयश्रीजी म.सा. ने कहा कि उदयपुरवासियों की भावना है कि आप यहां चातुर्मास करों।

*कथा श्रवण की आयोजन शुक्रवार से*

होली चातुर्मास के तहत श्रीसंघ के तत्वावधान में हिरणमगरी सेक्टर-4 स्थानक में पूज्य समकित मुनिजी म.सा. के मुखारबिंद से शुक्रवार से रविवार 5 मार्च तक रात 8 से 9 बजे तक मातृ-पितृ भक्ति का संदेश देने वाले विशेष प्रवचन ‘‘कथा श्रवण की’’ आयोजन होगा। इसके माध्यम से युवाओं व बच्चों सहित समाज के हर वर्ग को मातृ-पितृ भक्ति की प्रेरणा प्रदान करने के साथ ये बताया जाएगा कि श्रवणकुमार की कथा किस तरह हमारे लिए आज भी प्रासंगिक है।

*होली चातुर्मास के बाद करेंगे नासिक की दिशा में विहार*

तय कार्यक्रम के अनुसार पूज्य समकितमुनिजी म.सा. आदि ठाणा उदयपुर होली चातुर्मास के बाद 8 मार्च को नासिक की दिशा में विहार करेंगे। नासिक में उनके सानिध्य में 23 अप्रेल को अक्षय तृतीया पर वर्षीतप पारणा महोत्सव होंगा। उनका वर्ष 2023 का चातुर्मास पूना के आदिनाथ जैन स्थानक भवन के लिए घोषित है।

RISHABH JAIN
Author: RISHABH JAIN

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