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सत्ता स्वार्थ मोह और आसक्ति अनर्थ का मूल व आत्मा के पतन का मुख्य कारण- कमल मुनि

नीमच छावनी। सत्ता स्वार्थ मोह और आसक्ति अनर्थ का मूल आत्मा के पतन का मुख्य कारण है। उक्त विचार राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश ने दीक्षार्थी बहन कुमारी अंजली के अभिनंदन समारोह को संबोधित करते हुए कही।


कमल मूनि ने कहा कि त्याग का अहंकार भी अमृत मय साधना को जहर के रूप में परिवर्तित कर देता है। उन्होंने कहा कि धन वैभव का परिवार का त्याग करना अत्यंत दुष्कर है उसे कठिन है ईर्ष्या द्वेष नफरत अहंकार से मुक्ति पाना यही मुख्य लक्ष्य सच्ची साधना है।
आचार्य प्रवर विश्व रत्न सागर ने कहा कि त्याग और वैराग्य की बिना सच्ची शांति प्राप्त नहीं हो सकती। उन्होंने बताया कि विलासिता और इंद्रियों की आसक्ति कर्म बंधन का मुख्य कारण है आत्मा को जन्म जन्मांतर में भटकाती है इंद्रिय संयम कर्म मुक्ति के लिए रामबाण औषधि है।


आचार्य प्रवरने कहा कि राष्ट्र संत कमलमुनि अहिंसा और जीव के क्षेत्र में नया कीर्तिमान स्थापित किया है इनकी जितनी अनुमोदना करें उतना कम है। शासन प्रशासन से काम कराने में गजब की कला है।
पूज्य उत्तम रत्न सागर ने कहा कि संयम अमृत है और असंयम मृत्यु के समान है। आचार्य विश्व रत्नसागर 21, संतमुनि कमलेश 4 संत, महासती 29 विराजमान है। श्री श्वेतांबर भीड़ भंजन पारसनाथ ट्रस्ट श्री संघ नीमच के तत्वाधान में 3 मार्च को दीक्षार्थी अंजलि बहन स्वयं को स्वीकार करेगी। लोढ़ा परिवार ने 200 ग्राम सोने का मुकुट प्रभु के चरणों में श्री संघ को समर्पित किया। अध्यक्ष अनिल नागौरी ने मुनि कमलेश का अभिनंदन किया।

RISHABH JAIN
Author: RISHABH JAIN

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