बड़ीसादड़ी। जैन दिवाकर प्रवचन हॉल में आयोजित धर्मसभा में श्रमण संघीय उपप्रवर्तनीय महासती शान्ता कुँवर मसा ने फरमाया कि जिस प्रकार एक-एक पैसा जोड़कर एक दिन अमीर बना जा सकता है, एक- एक ईंट को जोड़कर बड़े से बड़ा भवन बनाया जा सकता है उसी प्रकार एक-एक सद्गुणों को अपनाकर और एक-एक अवगुणों को त्याग कर कोई भी अनंतगुणी बन सकता है।
होलिका में कितने ही अवगुण भरे पड़े थे लेकिन फिर भी होलिका भव पार हो गई क्योंकि होलिका ने सद्गुणों को अपना लिया और अवगुणों को त्याग दिया। अर्थात जो असली होता है वह अवगुणों को छोड़ देता है और जो नकली होता है वह गुणों को छोड़ देता है।
उन्होंने आगे फरमाया कि पांच महाव्रत धारी साधु-साध्वियों की कमियों को दूर करने का अधिकार सिर्फ बारह व्रत धारी श्रावको को होता है। साधु को कुछ कहने का अधिकार ऐसे श्रावको को नही है जो खुद व्यसनों में रहते है अधर्म का काम करते है। अर्थात सच्चे श्रावक तो ऐसे होते है जो साधु को भी केवल ज्ञान की प्राप्ति का मार्ग बता दें, केवल ज्ञान दिला दे। धर्म इतिहास में ऐसे पुनिया श्रावक हुए जिनकी एक सामायिक को भी राजा श्रेणिक नही खरीद सके।
आगे कहा कि होलिका ने परम पवित्र धर्म को धारण करके, सभी पापों को भूल कर के धर्म के मार्ग पर आकर अपने जीवन को धवल बना दिया था।
आगे कहा कि भामाशाह जैसे दानवीर आज भी है जो धर्म के लिए अपना सबकुछ न्यौछावर कर देते है । ऐसे भी श्रावक है जो अकेले ही स्थानक का निर्माण करवा देते है ओर अकेले ही पूरा चातुर्मास करवा देते है।
स्थानक में हर पल धर्म आराधना होती है। त्याग, तपस्या, जप, स्वाध्याय होता है जिसका कुछ लाभ उसको बनाने वालों को भी अवश्य मिलता है। अर्थात जहा पूण्य का काम हो वहां सहयोग करने में कभी पीछे मत रहो और जहा पाप का, हिंसा का काम हो वहां जाने से स्वयं को रोक लेना ही बुद्धिमानी होती है।
साध्वी मंगल प्रभा एवं साध्वी नयनप्रभा ने सामायिक के महत्व पर प्रकाश डाला एवं रोजाना सामायिक करने से होने वाले लाभ पर विचार रखे।
प्रवचन रोजाना सुबह 9.15 बजे से 10.15 बजे तक जैन दिवाकर सामायिक भवन में आयोजित हो रहे है। जिसमे अनेक श्रावक-श्राविकाएं धर्म आराधन के साथ भाग ले रहे है।