घूस मामले में गिरफ्तार और निलंबित एसओजी, अजमेर की एएसपी दिव्या मित्तल काली कमाई से उदयपुर के चिकलवास में नेचर हिल पैलेस को सपनों का किला बना रही थी। यूआईटी से फार्म हाउस की स्वीकृति ली, लेकिन दिव्या ने आलाशीन रिसॉर्ट बना दिया। निर्माण पर 6 साल में 6 करोड़ से ज्यादा खर्च किए। इंटीरियर और फर्नीचर पर करीब एक करोड़ अलग लगाए। चौंकाने वाली बात यह है कि चार साल में इस रिसॉर्ट से करीब 8 कराेड़ रुपए कमाए गए, लेकिन रोड़ी-गिट्टी से लेकर इंटीरियर वालों की देनदारी के लाखों रुपए आज भी बकाया हैं। वे चक्कर काट रहे हैं।
यूआईटी की कार्रवाई के दौरान भी 5 ऐसे लोग पहुंचे, जो दिव्या से करीब 50 लाख रुपए मांगते हैं। उनके चेहरे मुरझाए हुए थे। इन्होंने एक साथ यूआईटी तहसीलदार बिमलेंद्रसिंह के सामने कहा कि पैसा मिलने की उम्मीद पहले ही कम थी। अब ये उम्मीदें भी डूब गईं।
कार्रवाई के दौरान यूआईटी के बड़े अफसर यह भी कहते रहे कि भास्कर की खबर के बाद ही उन्हें दिव्या और दलाल निलंबित सिपाही सुमित के भी रिसॉर्ट का मालिक होने, कागजों में फार्म हाउस होने का पता चला। अवैध निर्माण और खसरा नंबर भी सही थे। इनके बिना अवैध गतिविधियों की जानकारी मिलना और कार्रवाई मुश्किल थी।
कि चिकलवास में उनका फार्म हाउस किसी 5 सितारा होटल की तरह सर्विस दे रहा है। इसके बाद यूआईटी अध्यक्ष-कलेक्टर ताराचंद मीणा व सचिव नितेंद्रपालसिंह ने मामले को गंभीरता से लिया। तीन फरवरी को यूआईटी ने रिसॉर्ट का मौका पर्चा बनाया। अब कार्रवाई हुई।
एक अनुमान के अनुसार दिव्या ने इस रिसॉर्ट से साल 2018 से अब तक 8 करोड़ की कमाई की। लेकिन खर्च 6 करोड़ और कमाई के 8 करोड़ (कुल 14 कराेड़) का हिसाब न ताे इनकम टैक्स विभाग काे पता है, न ही कमाई के नाम पर वसूले गए जीएसटी से केंद्र और राज्य सरकार काे एक रुपया भी दिया गया। वजह कागजाें में रिसॉर्ट को फार्म हाउस दिखाना रहा। इनकम और जीएसटी को लेकर इसका रजिस्ट्रेशन शर्ताें के तहत होना संभव नहीं था। रिसॉर्ट में दो बड़े हॉल के अलावा 26 कमरे थे।
शुक्रवार को ऑनलाइन बुकिंग के दौरान रिसॉर्ट के एक कमरे का किराया 3090 रु. प्रति दिन का दिखा रहा था। भास्कर पड़ताल में यह भी सामने आया कि रिसॉर्ट का निर्माण 2018 में पूरा हो गया था। वर्ष 2023 यानी करीब चार साल तक व्यावसायिक उपयोग हुआ। यूआईटी के अधीन सेवारत पटवारी के परिवार में हुई शादी के दौरान रिसॉर्ट संचालक की ओर से दो दिन की बुकिंग के साढ़े 3 लाख रु. (डिस्काउंट के साथ) लिए गए थे। इस हिसाब से एक दिन के लिए रिसोर्ट बुक कराने की कीमत तकरीबन 2 लाख रु. बैठती है। 100 दिन के हिसाब से बुकिंग मानें तो रिसॉर्ट के नाम से 4 साल में करीब 8 करोड़ की कमाई हुई। इसके अलावा रिसॉर्ट के 26 कमरों में से आधे भी 3 हजार रुपए प्रति दिन के हिसाब से 6 माह के लिए बुक माने जाएं तो करीब 1 करोड़ रुपए कमाई हुई।
स्पा-फिटनेस सेंटर और हॉट टब बनाने की तैयारी थी, रिसॉर्ट ढहा, बुकिंग अब भी जारी
ये सुविधाएं थी
- एसी रूम्स और हॉल
- फुल लॉण्ड्री सर्विस
- फ्री पार्किंग
- फ्री वाई फाई
- दिव्यांग के लिए रैंप
- आउटडोर पूल
- रूम सर्विस
- चाइल्ड फ्रेंडली
- नाइट क्लब
- पैट फ्रेंडली
रिसॉर्ट को ऑनलाइन कैटेगरी में 4.6 स्टार की रैंकिंग मिली हुई थी। यहां केवल स्पा सेंटर, फिटनेस सेंटर और हॉट टब जैसी सुविधा नहीं थी। यह सुविधा भी जल्द उपलब्ध कराने की तैयारी थी। एक मार्च को ही यहां कोल्हापुर (महाराष्ट्र) के 30 लोगों का ग्रुप ऑनलाइन बुकिंग कराकर आया था, जो सुबह यहां पहुंचा था। तभी यूआईटी ने नोटिस चस्पां किया। इस ग्रुप को अपने रुटीन और कुछ आराम के लिए 12 घंटे का समय दिया था। रात में पूरे ग्रुप को दूसरे होटल में शिफ्टिंग करने को कह दिया गया। रिसॉर्ट ढह चुका है, पर ऑनलाइन बुकिंग देर रात तक दिखाई जा रही थी। गोआईबीबो पर प्रति रूम 3090, मेक माइट्रिप पर 3090 और ट्रिप एडवाइजर पर 3150 रुपए बुकिंग राशि थी।
5 हजार वर्ग फीट की मंजूरी ली, बना दिया 10 हजार में
- दिव्या व दलाल (बर्खास्त सिपाही) सुमित कुमार जाट ने यह जमीन एसटी को रूपांतरित करवा कर खरीदी।
- दिव्या ने वर्ष 2016 में 25499 वर्ग फीट और सुमित ने 2020 में 26605 वर्ग फीट जमीन का मालिकाना हक पाया।
- यूआईटी ने दिव्या को 2017 में 5046 वर्गफीट पर फार्म हाउस बनाने की मंजूरी दी थी। इसके विरुद्ध 10065 वर्गफीट पर निर्माण किया। सेट बैक भी नहीं छोड़ा।
- सुमित की ओर से निर्माण की काेई स्वीकृति नहीं ली गई। इसके बावजूद 10650 वर्गफीट पर निर्माण किया। ये निर्माण वर्ष 2016 से ही शुरू हो गया था।
- फार्महाउस के नाम पर स्वीकृति लेकर होटल संचालन करने को यूआईटी ने वातावरण मैत्री कार्य के विरुद्ध माना।
- अवैध निर्मित रिसोर्ट में हॉल सहित करीब 26 कमरे थे। इनमें अब 15 बचे हैं।