15 से अधिक श्रमिको ने करीब 20 दिनों तक की तैयारी…!
मेंवाड़। उल्लेखनीय है कि प्रसिद्ध तीर्थ स्थल श्रीनाथ जी की यह होली विश्व में सबसे बड़ी होली होती है। होली का गोलाकार व्यास 15 फुट का होता है तथा ऊंचाई 32 फुट होती है। लगभग 15 से अधिक श्रमिक इसे 15 से 20 दिनों में तैयार करते हैं। इस होली को बनाने में 1300 से अधिक कांटे की मथारिया जिन्हें डेरिया भी कहा जा सकता है उपयोग में ली जाती हैं।
श्रीनाथजी मंदिर की परंपरा के अनुसार श्रीनाथजी मंदिर के पंड्या विधि विधान से होलिका पूजन करवाने के पश्चात होलिका दहन करवाते हैं। परंपरा के अनुसार श्रीनाथजी मंदिर के कृष्ण भंडारी खर्च भंडारी कीर्तनया परछने के मुखिया श्रीनाथ गाड़ी सहित अन्य सेवक गण होली मंगरा जाते हैं। इस दौरान कीर्तनया, कीर्तन गान करते रहते हैं। श्रीनाथ गार्ड का एक जवान बंदूक से फायर करते हुए जाता है। होली मंगरा पहुंचने पर मशाल जी द्वारा सभी विधि-विधान पूर्ण होने के पश्चात होली की परिक्रमा कर होलिका दहन प्रारंभ किया जाता है। इस अवसर पर बड़ी संख्या में स्थानीय निवासी एवं वैष्णव जन यह आयोजन देखने पहुंचते हैं। इस बार भद्रा की स्थिति होने के कारण होलिका दहन के साथ ही धमाल एवं धुलीवंदन भी प्रारंभ हुए।