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लेखक भी लिखने से चूक सकता है लेकिन चुगलखोर कभी नही चुकता है – महासती शान्ता कुँवर

बड़ीसादड़ी। जैन दिवाकरिय महासती शान्ता कुँवर ने आयोजित धर्म सभा मे फरमाया कि लेखक भी लिखने में वक्ता भी बोलने में, निशानेबाज भी निशाने में, न्याय करने वाला राजा भी निर्णय में और वैद्य भी इलाज में चुक सकता है लेकिन चुगल खोर सो जूते ओर सैकड़ों ताने खाने के बाद भी चुगलीखाने से चुकता नहीं है। चुगलखोर का जीवन बस निंदा करने में किसी के बने बनाये काम को बिगाड़ने में, रिश्तो में दरारें डालने में एक दूसरे के प्रति नफरत फैलाने में ही व्यतीत होता रहता है। क्या हमारा भी ये अनमोल मनुष्य जीवन ऐसे ही व्यतीत तो नही हो रहा है और अगर हो रहा हो तो जल्दी से धर्म की शरण मे आ जाओ ।


आगे कहा कि शालीभद्र महाराज ने बत्तीस रानियों को और धन्ना सेठ ने आठ रानियों को छोड़कर दीक्षा ग्रहण कर ली। पत्नी सुभद्रा ने अपने पति को सिर्फ एक पत्नी छोड़ने का ताना दिया जिसको सुनते ही धन्ना सेठ को ऐसा वैराग्य आया कि एक नही अपनी आठो पत्नियों को छोड़कर वैराग्य धारण कर लिया।
शालीभद्र तो एक-एक पत्नी को रोज छोड़ता जा रहा था लेकिन धन्ना सेठ ने तो आठो पत्नियों को एक साथ छोड़ दिया ओर शालीभद्र से कहा एक-एक पत्नी को क्या छोड़ रहा है तो ये ताने सुन कर शालीभद्र ने भी अपनी बत्तीसी रानियों को छोड़ कर धन्ना सेठ के साथ दीक्षा ग्रहण कर ली। ऐसा होता है मजबूत वैराग्य। आज तो सभी को खिचड़ीया वैराग्य और मशाणिया वैराग्य आता है। जो कुछ देर में ही उतर जाता है।


आगे कहा कि मोन धारण करके सामायिक की साधना करने से छः प्रकार के पाप निंदा, चुगली, झूठ, क्रोध, राग, द्वेष आदि टल जाते है । लेकिन मोन धारण करना बहुत कठिन होता है । कितने ही जने तो नींद में भी बड़बड़ाते रहते है । अर्थात बोलो भी तो पहले तोलो ओर फिर बोलो क्योंकि सारे घाव तो जल्दी भर जाते है लेकिन शब्दों के लगे घाव बहुत मुश्किल से भरते है।
मधुर व्याख्यानी मंगल प्रभा एवं नयन प्रभा ने भी विचार रखे।
सभा भव्या चपलोत ने सुंदर भजन प्रस्तुत किया एवं जम्बू कुमार पोरवाल, ललित गांग, अनिल मेहता आदि ने विचार रखे।
जम्बू कुमार पोरवाल एवं ललित कुमार गांग परिवार की ओर से प्रभावना वितरित की गई।
डूंगला की ओर अग्रसर
श्री संघ मीडिया प्रभारी सुनील मेहता “कान्हा” ने बताया कि श्रमण संघीय महासती शान्ता कुँवर मसा आदि ठाणा-3 ने दोपहर 1.15 बजे मंगल विहार घंटाघर चौराया, कानोड़ दरवाजा होते हुए दिवाकर नगरी डूंगला की ओर किया। जरखाना गांव में रात्रि विश्राम करेगे। एवं सांगरिया गांव होते हुए डूंगला पहुँचेगे।

RISHABH JAIN
Author: RISHABH JAIN

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