वित्तीय अनियमितताओं के चलते उदयपुर दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ के चेयरमैन पद से हटाई गई गीता पटेल के पास दुग्ध उत्पादन के नाम पर कुछ नहीं है। फिर भी वह इतने समय तक चेयरमैन जैसे पद पर काबिज रही। गीता पटेल के घर पशुपालन की जांच करने गई टीम को निरीक्षण में इसका पता लगा। प्रशासक हीरालाल मीणा व सहायक जांच अधिकारी वीरेन्द्र कुमार जांच करने गीता पटेल के कच्छेर स्थित घर पर पहुंचे। जहां ना तो पशु मिले और ना ही पशुपालन के लिए बाड़ा नजर आया। घर भी बंद मिला, जिसमें बिजली कनेक्शन तक नहीं है। ऐसे में कोई दूध व्यवसाय करना नहीं पाया गया।
जांच के दौरान सचिव देवीलाल गैरमौजूद होने पर उनके कार्यालय पर कारण बताओ नोटिस चसपा किया गया। जिसमें सचिव को प्रशासक द्वारा लिखा गया कि आप कर्तव्यों के प्रति गंभीर नहीं है। क्यों न आपकी सेवाएं समाप्त करते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए उच्च अधिकारियों को लिखा जाए। प्रशासन ने सचिव को नोटिस के जबाव के साथ तत्काल उपस्थित होने के निर्देश दिए हैं।
बोनस नहीं देने पर पटेल का लगातार हो रहा विरोध
दूध उत्पादन का बोनस नहीं मिलने पर कच्छेर प्राथमिक दूध उत्पादक सहकारी समिति की अध्यक्ष रहीं गीता पटेल के खिलाफ सदस्य विरोध पर उतर आए। इसको लेकर समिति कार्यालय के बाहर धरना भी दिया गया। इससे पहले 4 सदस्यों के इस्तीफे से कोरम के अभाव में गीता पटेल को अध्यक्ष पद से भी हटा दिया गया था। सदस्यों का आरोप था कि पटेल ने अध्यक्ष रहते समिति के कार्यों में मनमानी की। दुध उत्पादन का बोनस कई बार मांगे जाने पर भी नहीं दिया गया।
बीते साल चेयरमैन गीता सहित 42 पदाधिकारियों को हटाया था
25 अक्टूबर 2022 को राज्य सरकार ने 16 साल से डेयरी संघ चेयरमैन पद संभाल रही गीता पटेल सहित 42 तत्कालीन पदाधिकारियों को हटाकर उदयपुर कलेक्टर को डेयरी संघ का प्रशासक लगा दिया था। पटेल को अगर कोर्ट से राहत नहीं मिली तो उनके सामने चेयरमैन बनने का संकट खड़ा हो सकता है। डेयरी संघ का चुनाव लड़ने के लिए प्राथमिक दुग्ध उत्पादक सहकारी समिति का चेयरमैन होने के बाद संघ के 12 संचालक में सदस्य बनना होता है। इन्हीं 12 में से 1 चेयरमैन निर्वाचित होता है। गीता पटेल को भाजपा समर्थित माना जाता है।