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कन्नौज चौकी पर होती है रोजनामचे की पूजा:450 साल से निभाई जा रही अनूठी परंपरा, ग्रामीण खेलते हैं पुलिस संग होली

चित्तौड़गढ़ में रंग तेरस में होली खेलने की परंपरा सालों से चली आ रही है। कन्नौज पुलिस चौकी इंचार्ज रतन लाल माली ने बताया कि कन्नौज कस्बा टोंक रियासत का आखिरी गांव हुआ करता था। उस समय लगान वसूलने के लिए एक मुनीम को नियुक्त कर रखा था और इसी चौकी के स्थान पर ही लगान वसूली का काम होता था। रियासत के निर्देश पर हिंदू समाज का रंगतेरस पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता था। लगान वसूल करने वाला मुनीम उस समय बही खाते की पूजा करता था। ग्रामीण भी इसी जगह पूजा करने आते थे। रियासतों के एकीकरण के बाद यहां पुलिस चौकी स्थापित की गई। तब से से अब तक ग्रामीण पुलिस चौकी आते हैं और रोजनामचे की पूजा करते हैं। उसी समय से यह परंपरा चली आ रही है।

चित्तौड़गढ़ की कन्नौज चौकी में रंग तेरस पर 450 साल पुरानी परंपरा निभाई जाती है। चित्तौड़ जिले के भदेसर उपखंड की कन्नौज पुलिस चौकी एकमात्र ऐसी चौकी है, जहां आज भी रियासतकाल के नियमों को पूरा किया जा रहा है। यहां ग्रामीण एकत्रित होकर चौकी पर आते हैं और पुलिस रोजनामचे (दिनचर्या की किताब) की पूजा करते हैं। इस दौरान सभी ग्रामीणों ने चौकी इंचार्ज और पुलिस के साथ मिलकर जमकर होली खेली। वहीं आज चित्तौड़ शहर में भी होली खेली गई। मेवाड़ में रंग तेरस में होली खेलने की परंपरा है। चित्तौड़गढ़ में भी इसी दिन धूमधाम से होली खेली जाती है। आज भी पूरा शहर गुलाल के रंगों में रंगा हुआ दिखाई दिया।

पुलिस संग खेली होली

दोपहर में सभी ग्रामीण ढोल नगाड़ों के साथ पुलिस चौकी पहुंचे और पुलिस संग जमकर होली खेली। इससे पहले ग्रामीणों ने रोजनामचे की पूजा भी की। इससे पहले ग्रामीणों के द्वारा ही पुलिस चौकी में रंगोली बनाई गई। पुलिस की तरफ से ठंडाई की व्यवस्था की गई। पुलिस भी लोगों के साथ घुल मिलकर खेलती हुई नजर आई।

ग्रामीणों ने की रोजनामचे की पूजा

ग्रामीण सत्यनारायण मंत्री ने बताया कि 450 साल पुरानी परंपरा होने के कारण आज भी इसे गांव में निभाते हैं। गांव के पटेल, ठाकुर, पटवारी समाज के लोगों के साथ ग्रामीण एकत्रित होकर वहां से ढोल-नगाड़ों के साथ जुलूस के रूप में चौकी पहुंणे। वहां रोजनामचा की पूजा कर रंग-गुलाल से तिलक कर चौकी इंचार्ज को श्रीफल भेंट किया गया। चौकी परिसर में चौकी प्रभारी हेड कांस्टेबल रतन लाल माली, कांस्टेबल विक्रम सिंह सहित ग्रामीणों की मौजूदगी में ही रोजनामचा की पूजा हुई। उन्होंने बताया कि इसके बाद वहां से निकल कर गांव के रावले (पुरानी हवेली) पर जाते हैं, वहां भी होली खेलने के बाद पूरे गांव में घूम घूम कर होली खेलते हैं। इसके बाद गांव वालों ने पुलिस को होली खिलाई।

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