डूंगला(अभिषेक वैष्णव)।पंचायत समिति क्षेत्र की ग्राम पंचायत पालोद का एक मुख्य गांव वजीराबाद जो ग्राम पंचायत मुख्यालय से महज 3 किमी दूर है परंतु वहां के वाशिंदे आजादी के बाद से आज तक पक्की सड़क के लिए तरस रहे हैं।
हाल ही में हुई बरसातों से उक्त कच्चा मार्ग दलदली हो गया तथा वजीराबाद के ग्रामीणों को ग्राम पंचायत मुख्यालय पालोद व उपखंड मुख्यालय डूंगला तक आने-जाने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, ग्रामीणों ने बताया कि हर वर्ष बरसात के मौसम में उक्त करीब 3 किमी का यहां मार्ग काफी दलदली और पानी से भर जाता है इस कारण उस दरमियान किसी मरीज या गर्भवती महिला को पालोद या डूंगला तक नहीं पहुंचाया जा सकता है। जब-जब बरसात के दौरान समस्या से दो-चार हुए ग्रामीणों ने तब-तब वहां के सरपंच, विधायक व राजनेताओं तक गुहार लगाई दरख्वास्त दी परंतु राजनेताओं ने आजकल, आजकल करते कई बरस निकाल दिए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि वजीराबाद मुख्य गांव होने से गूगल मैप में भी वजीराबाद के भीतर पालोद को दर्शाया हुआ है अतः मुख्य गांव होने पर भी राजनीतिक उपेक्षा के कारण सुविधा के लिए आज तक तरसता आया है ग्रामीणों ने बताया कि जैसे ही कोई चुनाव आते हैं राजनेता तब ही गांव में आते हैं और इस प्रकार आश्वासन देते हैं मानो कुछ हि दिन में वजीराबाद चमन हो जाएगा, जगमग हो जाएगा और फिर चुनावी वादों में सब कुछ खो जाता है और ग्रामीण अपने आप को ठगे से महसूस करते हैं। अतः इस बार ग्रामीणों ने बरसात के मौसम से पूर्व ही राजनेताओं अधिकारियों का ध्यान गांव की समस्या की ओर आकर्षित करने का मानस बना लिया है ग्रामीणों ने बताया कि गांव में एक प्राथमिक विद्यालय है जो घट कोरोना लॉकडाउन के समय से बंद है यहां केवल आंगनबाड़ी संचालित है तथा यहां पढ़ने वाले पहली से पांचवी तक के बच्चों को कच्चे मार्ग से सुनसान मार्ग से पैदल ही जाना पड़ता है जो खतरे से खाली नहीं है इस कारण कई बच्चे तो आगे पढ़ाई भी नहीं कर पा रहे हैं अतः गांव की नई पीढ़ी बच्चे शिक्षा से वंचित हो रहे हैं इसके अलावा जो बच्चे पालोद पढ़ने जाते हैं वह भी बरसात होते ही बंद हो जाते हैं कारण कि पालोद तक का मार्ग कीचड़युक्त हो जाता है बरसात में इस कीचड़ भरे मार्ग पर दुपहिया वाहन तो चल ही नहीं पाते हैं तथा चार पहिया वाहन भी कई मर्तबा मिट्टी में धंस जाते हैं जिन्हें काफी मशक्कत से निकाला जाता है। वजीराबाद गांव जिसे बक्शी खेड़ा के नाम से भी जाना जाता है के ग्रामीणों ने राजनेताओं अधिकारियों से पुरजोर रूप से गांव की सुध लेने की मांग की है ग्रामीणों ने बताया कि वह राजनेताओं व अधिकारियों के यहां जा-जाकर थक चुके हैं और अब आवाज उठाने के लिए मीडिया का सहारा लिया है।