बिल पास करने की एवज में मांग रहा था रिश्वत
आरोपी तत्कालीन प्रबंध निदेशक जनवरी 2006 से नियुक्त हुए। तब से बिल पास करने एवज में राशि की मांगते रहे। उसकी फर्म की एवज में 8 शाखाओं के बदले 24 हजार और पत्नी की 7 शाखाओं के 2 माह के 14 हजार रुपए रिश्वत की मांग की गई थी। इसकी शिकायत एसबी को दी गई। इसके बाद मामला एसबी कोर्ट पहुंचा। बुधवार को मामले की सुनवाई दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से 19 गवाह व 37 दस्तावेज पेश किए गए। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद पीठासीन अधिकारी ने आरोपी बजरंगलाल झारोटिया निवासी बघेरा अजमेर को विभिन्न धारा में 4-4 साल सजा व 20-20 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।
उदयपुर में एसीबी कोर्ट-1 ने 13 साल पुराने रिश्वत के मामले में द उदयपुर सेंट्रल कॉपरेटिव बैंक लि. उदयपुर के तत्कालीन प्रबंध निदेशक को 4 साल की सजा सुनाई है। प्रबंधक निदेशक बजरंग लाल पुत्र लादूराम रेगर ने बिल पास करने की एवज में करीब 38 हजार रुपए की रिश्वत ली थी। पीठासीन अधिकारी मधुसूदन मिश्रा ने बजरंग लाल को विभिन्न धाराओं में 4-4 साल साधारण कारावास और 20-20 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।
विशिष्ट लोक अभियोजक राजेश कुमार पारीख ने बताया कि परिवादी सावन दवे ने 20 अक्टूबर 2006 को एसीबी के एएसपी उदयपुर को शिकायत दी थी कि उसकी और उसकी पत्नी के नाम की फर्म को संबंधित बैंक ने कम्प्युटर कार्य के लिए अधिकृत किया था। उनकी कंपनी राजसमंद और उदयपुर जिले के गांवों में संचालित बैंक शाखा में कंप्यूटर से संबंधित काम करती थी।