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विवाद के निपटारे से उपजा कानोड़ का अहिरावण मेला आज भी बना पहचान पांच दशक से परंपरा कायम सबसे पहला रावण ३८ फीट का , इस बार फिर बना 38 फिट का पुतला कानोड़ में आज दिखेगी मेले की रौनक, धू-धूकर जलेगा बुराईयों का अहिरावण
दर्शन न्यूज़ कानोड़- क्षेत्र का एक मात्र बड़ा मेला जिसमें अहिरावण के पुतले को आग के हवाले किया जाता है , करिब १९७३ के दशक में जब कानोड़ कस्बा पंचायत था जब यहा के सरपंच बंशीलाल पुरोहित थें ,तब सोनी समाज के लोगो की पहल व नगर वासियो के सहयोग से यह मेला शुरू हुआ । शुरू के तीन वर्ष तक इस मेले को नगरवासियो के सहयोग से चलाया बाद पंचायत ने इस कार्य को हाथ में लेकर मेले के आयोजन को बड़ा रूप दिया जाने लगा । आज नगर पालिका प्रशासन इस यह परंपरा कायम रखते हुए बड़े स्तर पर आयोजन करता है । बुजूर्ग गिरधारी लाल सोनी व रतनलाल लक्षकार बताते है, कि एक बार लक्षकार समाज व सोनी समाज में एक दुकान को किराए देने को लेकर तकरार हो गई जिसका फैसला मेला स्थल पर स्थित सौनेरी माता मंदिर पर हुआ समझोते में मिले पैसे का उपयोग अहिरावण मेले के आयोजन व अहिरावण का पुतला बनवाने में किया गया । पहला अहिरावण का सबसे बड़ा ३८ फीट का पुतला नगर के कमल दास वैष्णव ने बनाया था । बीच में कुछ वर्ष अहिरावण का पुतला २८ से ३० फिट का बना लेकिन इस बार फिर बोर्ड ने अहिरावण का पुतला ३8 फिट का करते हुए पुतले को आकर्षक बनाया जा रहा है । विवाद के पैसे से शुरू हुए इस मेले में बुराईया त्यागने का संदेश दिया जाता है । क्षेत्र का दुसरा अहिरावण मेला कानोड़ कस्बे में मेला शुरू करने से पहले बड़ीसादड़ी में राम-रावण मेला लगता था बाद उसी तर्ज पर कस्बे में हनुमान-अहिरावण मेला का शुभारम्भ किया गया । किसी जमाने में जोशिला हनुमान मंदिर से बेण्डबाजो के साथ लक्षमण अहिरावण हनुमान व वानर सेना की झाकिया लिए भव्य सवारी निकलती थी जो मेला स्थल पर पहुॅचकर समाप्त होती थी । इस शोभायात्रा में पुरे नगर के हजारो लोग शामील होते थें । जो सवारी किसी जमाने में शुरू होकर अहिरावण मेले में पहुॅचती थी , जो इस बार वर्षो बाद फिर से शुरू होगी । जोशिला हनुमान मंदिर पर कुछ वर्षो से अलग से कार्यक्रमो का आयोजन होने लगा है, हनुमान जयंती तक यहा छोटे मेले का आयोजन होता है । कस्बावासी करते थे ,नाटक का मंचन मेले का ऊचाईया देने व भीड़ एकत्र करने के लिए मेले के आयोजन के दोरान नगरवासी नाटक का मंचन करते थें ,मेले के शुभारम्भ में सबसे पहले वीर बालक अभिमन्यू के नाटक का मचंन किया गया जिसमें स्व.चन्देश वया ने अभिमन्यू का अभिनव किया था । निकलने वाली सवारी में फुलचन्द मोची हनुमान, ब्रजलाल सोनी सुग्रीव , लक्षमण भाट नारद व शीवलाल लक्षकार सहित सेकड़ो की संख्या में नगरवासी वानर का वेष धरते थें । आयोजन के बाद बाद कुछ धन एकत्र हुआ व रामलिला कलाकारो द्वारा नाटक प्रस्तुत करवाया जाने लगा था आज सास्कृतिक संध्या सहित कई आयोजन होते है मेले के आयोजन में स्व. मांगीलाल डांगी, तत्कालिन सरपंच बंशीलाल पुरोहित सहित कई वरिष्ठजनो की अहम भुमिका रही । सजता है , सोनेरी माता मंदिर मेले के आयोजन में प्रमुख भुमिका निभाने में सौनेरी माता मंदिर रहा जहां आज भी मेले के दोरान प्रतिमा को विशेष श्रंगार धराया जाता है । जहा काफी संख्या में मेलार्थी व समाजनन दर्शन करते है । मेले के दिन यहा वर्षो से हवन होता है । १९.१२.१९७५ में पंचायत नगरपालिका बनी उस समय सात वर्ष से सरपंच के पद पर काबिज बंशीलाल पुरोहित को पहला पालिका अध्यक्ष बनाया गया । जिसके बाद ०६.०८.१९७७ से ३०.११.१९९४ तक प्रशासन नियुक्त रहा बाद १९९४ में पालिका के पहले चुनाव हुए व कुशमलता शर्मा चेयरमेन बनी थी । वर्तमान में यहा अध्यक्ष गुड्डी देवी मीणा व बाबूलाल रेगर उपाध्यक्ष है । यह होंगे कार्यक्रम आयोजित मेले में २९ मार्च को दिन में मेला व रात्रि १२.१५ बजे भव्य आतिशबाजी के साथ अहिरावण का दहन किया जाएगा । आयोजन को लेकर अधिशाषी अधिकारी प्रतिक झा सहित पालिका मंडल तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
फोटो- मेले में खड़ा अहिरावण का पुतला व सोनेरी माता की श्रृंगारित प्रतिमा । कानोड़
![Ravi Shrimali](https://secure.gravatar.com/avatar/4d33f7ae71c6cb5922932cc0d8e74c34?s=96&r=g&d=https://darshan-news.com/wp-content/plugins/userswp/assets/images/no_profile.png)