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भगवत गीता शांति का नहीं क्रांति का पाठ-कथा व्यास सरस्वती

 

दर्शन न्यूज़ भींडर -भारतीय नववर्ष स्वागत समिति के तत्वाधान में रेलवे स्टेशन स्थित कृषि उपज मंडी में आयोजित राष्ट्रोत्थान श्री राम कथा के पांचवे दिन कथा व्यास सरस्वती दीदी ने कहा की शत्रु भी हो तो राम जैसा होना चाहिए । श्री मद्भागवत गीता शांति का नहीं क्रांति का पाठ है । कहा कि जनकपुरी की सुंदरता का वर्णन अद्भुत पावनपुरी है जहां चारों भाइयों का विवाह धूमधाम के साथ हुआ । कथा व्यास सरस्वती ने कहा कि पिता और पुत्री का संबंध अटूट होता है , जनक द्वारा पुत्रियों की विदाई दी कनक भवर अयोध्या में केकयी ने विश्वकर्मा को बुलाकर बनवाया वह उपहार स्वरूप सीता दिया था ।

महिला हो या पुरुष हो श्रृंगार हमेशा किसी के सामने नहीं करना चाहिए। यमराज के पत्र पोस्ट ऑफिस से नहीं आते पहला पत्र श्वेत बाल , द्वितीय पत्र श्रवण शक्ति कमजोर होना, तीसरा पत्र अंधा होना, चौथा दांतो का टूटना बताया । देवों द्वारा मां सरस्वती को अवध में बुद्धि देने भेजना व रघुवंश उर्मिला चरित्र का वर्णन, राम बनवास का भाव विहल वर्णन, केवट प्रसंग की शुरुआत राम लक्ष्मण सीता की तपस्वी वेश झांकी सजाई गई। कथा को सुनने के लिए पूरा पंडाल खचाखच भरा रहा। कथा के दौरान कवि अनिल शर्मा द्वारा ओजस्वी वाणी से कविता पाठ का वर्णन किया। वही सोमवार रात्रि में साध्वी सरस्वती ने निकटवर्ती हिता गांव में धर्मसभा को भी संबोधित किया। इस मौके पर ग्रामीणों ने पलक पावडे बिछा कर साध्वी का स्वागत किया।

Ravi Shrimali
Author: Ravi Shrimali

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