बड़ीसादड़ी (सुनिल मेहता कान्हा)। श्रमण भगवान महावीर स्वामी के 2622 वे जन्म कल्याणक महोत्सव पर जैन दिवाकर प्रवचन हॉल में आयोजित गुनानुवाद सभा में प्रवचन प्रभाविका महासती धैर्यप्रभा मसा ने फरमाया कि जन्म तो रोजाना होते हैं लेकिन जो महावीर जैसा जन्म ले तो उसका जन्म ही कल्याण और मृत्यु ही महोत्सव बन जाती हैं ।
जैन धर्म इतना जबरदस्त धर्म है जो दूसरों के साथ जबरदस्ती नहीं करता यह जैन धर्म अपने अनुयायियों को केवल भक्त बनाकर नहीं छोड़ता । बल्कि भगवान बनने की छूट देता है। अर्थात केवल भक्त बन कर मत रहो ,अनुयायी बनकर मत रहो आप स्वयं भी भगवान बन जाओ। शायद ही कोई ऐसा धर्म होगा जो अपने भक्तों को भगवान बनने की छूट देता हो। भगवान भी भगवान राग-द्वेष को छोड़कर वितरागी बने। और जो वितराग होगा वही भगवान बनेगा। सबसे पहले राग छोड़ना पड़ेगा फिर वैरागी बनना पड़ेगा और फिर वितरागी बन सकोगे। अभी तुम सिर्फ रागी हो और हम आपसे एक कदम आगे वैरागी है। अर्थात पहले रागी से आप बैरागी बनोगे तो वितरागी बनोगे ।
आगे कहा कि महावीर जयंती तो हर साल मनाते हैं लेकिन महावीर बनने की सोची कभी महावीर बनने में सत्ताइस भव लगते हैं क्या पता इसी भव से हमारी महावीर बनने की यात्रा शुरू हो जाए ।
महावीर ने यह कभी नहीं कहा कि तुम मेरी पूजा करना महावीर में तो यह कहा कि तुम मेरे बताए हुए मार्ग पर चलना तो तुम भी महावीर बन जाओगे। आगे कहा कि आप जितने मजबूत होंगे उतने ही संसार के क्षेत्र में और धर्म के क्षेत्र में आगे बढ़ पाओगे ।और एक दूसरों के प्रति सहयोग की भावना रखोगे तो भी तुम्हें आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता ।
छः काया के प्रत्येक जीव से मित्रता रखो। प्रभु महावीर की गौशाला से चंद्रकौशिक सर्प से , उपसर्ग देने वाले संगमदेव एवं अपने शिष्य गौतम स्वामी आदि सभी के प्रति एक ही भावना थी। ना किसी के प्रति राग ना किसी के प्रति द्वेष था।
आगे कहा कि प्रभु महावीर किसी एक के नहीं है महावीर तो हर किसी के हैं पूरे संसार के हैं जन-जन के हैं क्योंकि महावीर के म में महादेव बसते हैं ह में हनुमान बसते हैं व मैं विष्णु बसते हैं और र में राम बसते हैं ।
महावीर सबके हैं अर्थात जो महावीर के सिद्धांत पर चलेगा वह महावीर बनेगा चाहे जेनी हो या अजेनी हो। इस बात का घमंड कभी मत करना कि हम जैन हैं और महावीर सिर्फ हमारे हैं ।अर्थात महावीर का जीवन सभी को महान बनने की प्रेरणा देता है ।
वीर जन्मे महावीर जन्म में …त्रिशला नंदन वीर जन्मे… और गुरु चरणों में मेरा वंदन बारंबार ..…आदि मधुर स्तवन साध्वी मंडल ने प्रस्तुत किए ।
प्रवचन सभा में नगरपालिका के अध्यक्ष विनोद कंठालिया का श्री संघ के पदाधिकारियों द्वारा मेवाड़ी पगड़ी एवं शॉल ओढ़ाकर अभिनंदन किया गया। नगर पालिका अध्यक्ष विनोद कंठालिया ने भी विचार रखे।
प्रभावना कंठालिया परिवार द्वारा रखी गई।