चिकारड़ा(राजमल सोलंकी)। महात्मा ज्योति बा गोविंदराव फुले एक भारतीय समाजसुधारक समाज प्रबोधक विचारक समाजसेवी लेखक दार्शनिक तथा क्रान्तिकारी कार्यकर्ता थे।
इन्हें महात्मा फुले एवं जोतिबा फुले के नाम से भी जाना जाता है। सत्य शोधक समाज नामक संस्था का गठन किया। महिलाओं व पिछडे और अछूतो के उत्थान के लिय इन्होंने अनेक कार्य किए।
समाज के सभी वर्गो को शिक्षा प्रदान करने के ये प्रबल समथर्क थे। वे भारतीय समाज में प्रचलित जाति पर आधारित विभाजन और भेदभाव के विरुद्ध थे।ईनका मूल उद्देश्य स्त्रियों को शिक्षा का अधिकार प्रदान करना बाल विवाह का विरोध विधवा विवाह का समर्थन करना रहा है। फुले समाज की कुप्रथा अंधश्रद्धा की जाल से समाज को मुक्त करना चाहते थे।
अपना सम्पूर्ण जीवन उन्होंने स्त्रियों को शिक्षा प्रदान कराने में स्त्रियों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने में व्यतीत किया 19 वी सदी में स्त्रियों को शिक्षा नहीं दी जाती थी। फुले महिलाओं को स्त्री पुरुष भेदभाव से बचाना चाहते थे। उन्होंने कन्याओं के लिए भारत देश की पहली पाठशाला पुणे में बनाई थीं। स्त्रियों की तत्कालीन दयनीय स्थिति से फुले बहुत व्याकुल और दुखी होते थे इसीलिए उन्होंने दृढ़ निश्चय किया कि वे समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाकर ही रहेंगे। उन्होंने अपनी धर्मपत्नी सावित्रीबाई फुले को स्वयं शिक्षा प्रदान की। सावित्रीबाई फुले भारत की प्रथम महिला अध्यापिका थीं। इस मौके पर सरपंच रोडीलाल खटीक, किशन लाल खटीक, सत्यनारायण खटीक, रामलाल खटीक, लक्ष्मीलाल मेघवाल, रतन लाल खटीक, छोगालाल मेघवाल, भेरूलाल खटीक, पुष्कर खटीक, कालूराम सालवी, मनीष खटीक, परसराम मेघवाल, जगदीश खटीक, शिवराज चावरिया, सुरेश चावरिया, किशन नायक, पुष्कर जटिया आदि मौजूद थे।