कानोड़ (भरत जारोली)। एक ओर जहां भीषण गर्मी के कारण स्थानीय निवासियों को पेयजल एवं घरेलु आवश्यकता के लिए पानी की आपूर्ति के लिए विभिन्न जतन किए जा रहे हैं वही दूसरी ओर नगर के पारम्परिक जलस्त्रोत प्रशासन व स्थानीय निवासियों की उपेक्षा के कारण कुडादान का रूप धारण करते जा रहे हैं।
नगर के पूर्व ठिकानोदारों व दानदाताओं के सहयोग से नगर क्षेत्र के चहुंओर तालाबों, बावड़ियों, कुओं व भव्य कुण्ड का निर्माण नागरिकों की जल आपूर्ति के लिए बनवाये गये थे किन्तु समय के साथ देखरेख के अभाव में इन जलस्रोतों पर लोगों ने अवेध कब्जे कर लिये है तो कई जलस्त्रोत में कचरा मिट्टी आदि डालकर कुडादान का रूप दे दिया है।
भीषण गर्मी में आम जन की पानी की जरूरत को पुरा करने के लिए प्रशासन को पारम्परिक जलस्त्रोतो की साफ सफाई कराने व अतिक्रमियों को बेदखल करने की मांग की गयी है।