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भाव निद्रा का टूटना आवश्यक है- पारस मुनि

कानोड़ (भरत जारोली)। नगर के धींगों की घाटी स्थित नवकार भवन में ससंघ विराजित शांत क्रांति संघ के पारस मुनि महाराज ने मंगलवार की प्रातः यहां आयोजित धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि भाव निद्रा को तोड़ना अत्यंत आवश्यक है। भाव निद्रा को मोह निद्रा भी कहा गया है। भाव निद्रा यानी मोह निद्रा सबसे खतरनाक है भाव निद्रा टूटने पर ही साधु प्रवृत्ति का प्रादुर्भाव होता है तथा दिव्य आत्माएं ही भाव निद्रा को तोड़ पाती है । मानव में ही दिव्य आत्मा है और मानव ही साधु बन सकता है साधु वितरागी ही इस संसार में सुखी हैं। आश्क्ती को घटाने पर ही जीवन सुखी हो सकता है इससे पूर्व मुनि श्री ने कविता – हो गई है भोर अब क्यों सो रहे हैं , कीमती जिंदगी अब क्यों खो रहे हैं ……..के माध्यम से कहा कि जो व्यक्ति सूर्योदय के बाद भी सोया रहता है वह रावण की लंका का निवासी है यानी राक्षसी गुणों वाला होता है । मानव में दानवी प्रवृत्ति का चलन अधिक होने से वर्तमान में मानव दूसरों के लिए चिंतन करने के बजाए अपने हितों के लिए सोचता है जिसके परिणाम स्वरूप राक्षसी प्रवृत्ति का प्रभाव पूरे संसार में हो रहा है, और इसी के परिणाम स्वरूप संसार में युद्ध- मारकाट मची हुई है। मुनिश्री ने कहा कि सुख पाना है तो राक्षसी प्रवृत्ति को छोड़ कर भगवान महावीर के सिद्धांत “जियो और जीने दो” को अपनाना होगा। सुख देने से सुख व दुख देने से दुख ही मिलता है । अतः दानवी प्रवृत्ति का त्याग करें। सभा के अन्त में संघ अध्यक्ष सुरेश कुमार दक ने साधु वन्दना के बाद आभार अभिव्यक्ति दी।

RISHABH JAIN
Author: RISHABH JAIN

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