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मोह रहित आत्मा का निर्वाण होता है- पारस मुनि म. सा

कानोड़( भरत जारोली)। नगर के नवकार भवन धींगों की घाटी पर विराजित शांत क्रांति संघ के संत पारस मुनि महाराज ने बुधवार को तीसरे दिन आयोजित धर्मसभा में व्याख्यान देते हुए कहा कि मोह रहित आत्मा का निर्माण होता है, मोह रहित आत्मा का कल्याण हो मोक्ष की प्राप्ति होती है।

इससे पूर्व जैन संत ने कहा कि भाव निद्रा में पड़ा प्राणी नींद की अवस्था को बढ़ाता है जिसके परिणाम स्वरूप जन्म जन्मों के बंधन से मुक्ति नहीं मिलती है। जीवन में आसक्ति को त्याग कर ही जीवन को धन्य किया जा सकता है। मृत्यु शाश्वत है मोह माया के कारण ही मनुष्य संसार के जन्म मरण के चक्र में फसा रहता है क्रोध व मोह माया मानव जीवन का नाश करते हैं मोह माया रहित आत्मा का जन्म मरण नहीं होता है , बल्कि निर्वाण हो जाता है। अनासक्ति में सुख है और आसक्ति में दुख है। मानव स्वयं के कर्मों से सुख और दुख का भागी बनता है। मन वचन काया से मानव शुभ अशुभ कर्म करके सुख-दुख का निर्माण करता है। ग्रंथों में साधु व श्रावक की गति को देव गति बताया गया है। आसक्ति ही संसार है अनासक्ति ही मुक्ति का द्वार है।
इससे पूर्व संत अभिनंदन मुनि महाराज साहब ने धर्म सभा में कहा कि बंधन जीव को बांधे रखते हैं जिससे मनुष्य को संसार से मुक्ति नहीं मिलती है तथा पापों के कर्म बनते ही जाते हैं। मानव का काम है अभय दान देना अभय दान सबसे बड़ा दान है। भगवान महावीर ने कहा है कि धर्म की आराधना करने से संसार रूपी माया जाल से मुक्ति मिलती है एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है। मानव को जीवन सफल बनाना है तो अपने मन एवं इंद्रियों को काबू में करना होगा कषायों पर नियंत्रण से ही आत्मा का कल्याण होता है संघ अध्यक्ष सुरेश दक ने आभार व्यक्त किया। एवं मोतीलाल धनेश कुमार जारोली परिवार की ओर से प्रभावना वितरित की गई।

RISHABH JAIN
Author: RISHABH JAIN

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