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अफ्रीकी देश सूडान में छिड़े गृहयुद्ध चलते वहां पर हालात बद से बदतर होते चले जा रहे हैं. हिंसा के कारण स्थानीय नागरिकों के साथ-साथ प्रवासियों को परेशानियों का सामना उठाना पड़ रहा है. ऐसे में भारत सरकार द्वारा भी ऑपरेशन कावेरी चला कर प्रवासियों को सुरक्षित लाया जा रहा है. इस कड़ी में सूडान से जैसे-तैसे जान बचाकर उदयपुर के खरसाण निवासी ओंकारलाल गोपावत अपने परिवार तक पहुंच गए है.
वर्ष 2005 में भी देख चुके ऐसे मंजर
प्रवासी भारतीय ओंकारलाल बताते हैं कि वह महीने भर पहले ही सूडान गए थे. वहां 5-6 अप्रैल को गृहयुद्ध छिड़ गया, हालांकि इसका पहले से अंदेशा था. दो-चार दिन बाद तो गोलियों की आवाज डराने लगी थीं. अपनी जमीन पर राहत की सांस लेते हुए गोपावत ने कहा कि मैं सूडान के अनदूर्मान में एक गुजराती परिवार का खाना बनाने और एक प्रतिष्ठान पर काम करने गया था. गत 10 अप्रैल को हमारे आस-पास भी गोलीबारी होने लगी. सब सहम गए.
साल 2005 में भी ऐसा मंजर देख चुके थे, जिससे और घबराहट हो गई. बचने के लिए इलाका बदल दिया. सूडानी सेना और अर्धसैनिक बलों के बीच संघर्ष बढ़ता गया. हमारी गली के ठीक पीछे टीवी और रेडियो का स्टेशन है, जहां हमला हो गया. जैसे-तैसे भारत आने के लिए संघर्ष करने लगा.सरकार के प्रयासों से घर लौटे तो राहत की सांस मिली.