कई दिनों से चल रही थी एक दीक्षा की तैयारियां अचानक दूसरी भी गुप्त रूप से आई सामने ओर बन गई साध्वी।
बड़ीसादड़ी। संयम पथ जीवन को संवारने वाला पथ है लेकिन यह बहुत कठिन मार्ग है। यह विचार अखिल भारतीय साधुमार्गी जैन संघ के आचार्य रामलाल जी महाराज साहब ने गुरुवार को शहर में दो युवतियों के जैन भगवती दीक्षा के अवसर पर धर्मसभा मे व्यक्त किये। जैनाचार्य ने कहा कि यह धर्म का मार्ग है और धर्म के माध्यम से संसार के लोगो को सुख देना है पीड़ा को दूर कर मन की प्रसन्नता बनी रहे यह कार्य करना है। प्रशंषा की चाहत नही हो कान अपनी तारीफ सुनने लिए न हो मन मे करता भाव न हो तब ही संयम पथ पर धर्म की ओर अग्रसर होना होगा। वासना लोभ मोह मान माया से पार पाना है बगैर धर्म की इच्छा से यह सम्भव नही है साधुजीवन स्वीकार करना आसान है पर पालन करना कठिन है। इसके लिए चाहिए मन को झुका देना बड़प्पन का भाव त्यागना संयम पथ पर धर्म और सत्य एक दूसरे से अलग नही रह सकते है। दुसरो के लिये प्रेरणा स्त्रोत बनना पड़ता है।
धर्मसभा में मुमुक्षु लक्की सुराणा को लोकोत्तर श्री व नूपुर भूरा को निर्ग्रन्थ श्री नाम दिया गया तथा वे दोनों ही अब से जैन साध्वी बन गई। उपाध्याय राजेश मुनि म सा ने कहा कि संयम का मार्ग सेवक बनाता है राजा नही ओर अनुचर बनकर पूजा भक्ति करने का मार्ग है अंतर्मन में एक ही बात रखनी है कि कोई आपको महत्व दे आपका ध्यान रखे इसकी कोई जरूरत नही आपका काम साध्वी बनकर श्रावक श्राविकाओं को साता पहुंचाना है। अपनी साता की इच्छा रखने का भाव मन को शांत नही होने देता है।
साधु साध्वी बनने का सीधा अर्थ है अपने तन मन आत्मा सहित आध्यात्मिक मार्ग पर समर्पण करना ।यह प्रभू का मार्ग है जिसमें मन में कभी भी हीन भावना हो अलग से पहिचान बनने की भावना मन मे नही आये हम वहां देखें जहां लोगों की आंखे नही पहुंचे ।सच्चा सुख सेवक बनने में ही है सेवा भावना सदा बनी रहे आत्मा का आनंद संयम समभाव के साथ भीतर के भावों को बाहर लाने का ध्येय रहे।इस अवसर पर साध्वी प्रेमलता श्री जी व प्रसिद्धि श्रीजी म सा ने विचार व्यक्त किये । समारोह में सांसद व भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी, भाजपा जिलाध्यक्ष गौतम दक, विधायक ललित ओस्तवाल, अखिल भारतीय साधुमार्गी जैन संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष गौतम रांका, महामंत्री निश्चलय कांकरिया, पूर्व अध्यक्ष उमरावसिंह ओस्तवाल, अहिंसा प्रचारक महेश नाहटा, नगर पालिका चेयरमैन विनोद कंठालिया, दीक्षार्थी लक्की के माता मधु पिता राजेन्द्र सुराणा, नुपुर के माता चंदा देवी पिता आनंदमल भुरा साधुमार्गी जैन संघ के अध्यक्ष प्रकाश चंद्र मेहता ने विचार व्यक्त किये।
दोनो ही मुमुक्षुओं के परिवार जनों ओर सम्पूर्ण जन समुदाय की सार्वजनिक रूप से दोनो को साध्वी के रूप में दीक्षा प्रदान करने की सहमति ली जिस पर सभी ने एक स्वर में हाथ खड़े कर हर्ष हर्ष जय जय कर सहमति प्रदान की ।