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कर्म फल आज नहीं तो निश्चित कल- आचार्य रामेश, 300 से अधिक दया तप की आराधना

बड़ी सादड़ी। नगर के समता प्रवचन हाल में जारी प्रवचन श्रखला में आचार्य श्री रामेश ने कहा कि किए हुए कर्मों का फल निश्चित रूप से प्राप्त होता है कर्म करते वक्त हम कितने सावधान हैं यहा एक-एक पाई का लेखा-जोखा है छोटा हो या बड़ा अमीर हो चाहे गरीब कोई भी कर्मों से बच नहीं सकता। यदि कोई गर्व करता है तो उसे निच गति मिलती है खाओ पियो और मौज करो यह बाहरी आत्मा का लक्षण है इसके बाहर उसकी सोच नहीं होती वह कभी तृप्ति प्राप्त नहीं कर पाता भगवन आगे फरमाते हैं कि किसी भी अवस्था पर यदि गर्व करता है तो शाश्वतकार कहते हैं उसे निच गति मिलती है अंतरात्मा में जीने वाले जीवन निर्वाह हेतु जीता है आत्मा की शुद्ध अवस्था परमात्मा है सही जीवन जीने का फार्मूला D S P, D -दिल से दर्शन करो देखने और दर्शन करने में अंतर है रोज दिल से दर्शन करना आंखों से नहीं S- सामायिक स्वाध्याय आदि करना सामायिक जीवन में प्रसन्नता देने वाली है स्वाध्याय हमें दर्पण दिखाता है कि हम कहां हैं P-प्रतिक्रमण करना प्रतिक्रमण हमारे दोषो को दूर करने का प्रयत्न कर रहा है सुख मेरा नहीं है दुख मेरा नहीं है आत्मा में रमण करने का आनंद मेरा है श्री हर्षित मुनि जी महाराज साहब ने कहा कि जितनी ज्यादा आसक्ति होगी वह डूबोने वाली है आई जैन माय जैन शिविर की बालिकाओं ने आचार्य भगवन के चरणों में अपने सुंदर भाव रखें सामायिक स्वाध्याय करने रोज 1 घंटे मौन एवं कभी भी आत्महत्या नहीं करने का संकल्प लिया समता युवा संघ अध्यक्ष धनपाल मेहता ने बताया कि तपस्या के क्रम में ज्ञानचंद डांगी के 6उपवास समीक्षा जैन 6उपवास सहित कई भाई बहनों के तेले तप की आराधना हो रही है महिला शिविर युवा शिविर बच्चों का संस्कार शिविर निरंतर जारी है साधुमार्गी जैन संघ समता युवा संघ समता महिला मंडल बहू मंडल के प्रयास से 300 से अधिक दया तप की आराधना हुई

RISHABH JAIN
Author: RISHABH JAIN

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