इंदौर। आध्यात्मिकता का ढोल पीटने वाले के जीवन में नैतिकता का पालन नहीं होता दिवाला होता है उसे धार्मिक तो क्या इंसान कहलाने का अधिकार भी नहीं होता उक्त विचार राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश ने संबोधित करते हुए कहा कि विश्व के सभी धर्मों ने नैतिकता और ईमानदारी को धर्म का प्राण बताया है।
मुनि कमलेश ने कहा कि नैतिकता के अभाव में की गई कठोर साधना भी मुर्दे को शृंगार कराने के समान है वह आत्मा परमात्मा गुरु धर्म को धोखा दे रहा है। उन्होंने कहा हिंसा व्यसन बलात्कार भ्रष्टाचार आतंकवाद अंधविश्वास रूढ़िवाद आदि बुराइयों का खुला नंगा नाच आध्यात्मिक दुहाई देने वाले के मुंह पर एक करारा तमाचा है।
राष्ट्रसंत ने कहा कि नैतिकता की नीव पर ही धार्मिकता की मंजिल खड़ी की जा सकती है कथनी और करनी का अंतर ही सबसे बड़ा पाप है।जैन संत ने कहा कि सभी धर्म गुरु को मिलकर नैतिकता का पालन करने वाले को ही उपासना करने का अधिकार देना चाहिए। तपस्वी घनश्याम मुनि जी ने विचार व्यक्त किए। महासती प्रमोद कुमार जी महासती रमणीक कंवर जी ने राष्ट्रसंत का अभिनंदन किया रमन जैन रवि पोखरना सोनल जैन शुभम जैन विशेष रूप से उपस्थित थे श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ इमली बाजार के महामंत्री रमेश भंडारी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे 13 जून को प्रातः 8:00 बजे रतलाम कोठी में स्वास्थ्य में गाय का महत्व सेमिनार को मुनि कमलेश संबोधित करेंगे।