भोपाल। सीबीआई, ईओडब्ल्यू, ट्राइबल वेलफेयर, हेल्थ डिपार्टमेंट सहित कई सरकारी कार्यालयों वाले भोपाल के सतपुड़ा भवन में लगी आग पर मंगलवार सुबह तक काबू पा लिया गया, लेकिन इसको लेकर राजनीति गरमा गई है। कांग्रेस इसे एक ‘षड्यंत्र’ करार दे रही है। भोपाल के जिलाधिकारी आशीष सिंह ने कहा कि आग पहले इमारत की तीसरी मंजिल पर लगी थी और इससे पहले कि उस पर काबू पाया जा पाता, यह चौथी, पांचवीं और छठी मंजिल तक फैल गई और स्थिति काबू से बाहर हो गई। फिलहाल आग पर काबू पा लिया गया है।
हालांकि, किसी के हताहत होने की खबर नहीं है क्योंकि अधिकारियों ने आग फैलने से पहले ही सभी को सुरक्षित निकाल लिया। आग पर काबू पाने में करीब 15 घंटे का समय लगा, लेकिन तब तक विभिन्न विभागों से संबंधित सभी महत्वपूर्ण दस्तावेज जलकर राख हो गये। सिंह ने कहा, सीआईएसएफ, बीएमसी, हवाई अड्डा और स्थानीय प्रशासन ने मिलकर आग पर काबू पा लिया है।
इस आग से चुनावी मोड में आ चुके मध्य प्रदेश में भी सियासत गरमा गई है। विपक्षी नेताओं ने सत्तारूढ़ भाजपा पर तीखा हमला करते हुए आरोप लगाया कि सतपुड़ा भवन में लगी आग घोटालों के दस्तावेजों को जलाने की साजिश थी।
पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी, प्रदेश इकाई के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव सहित कई अन्य पार्टी नेताओं ने आशंका जताई है। उन्होंने कहा, ”सीएम चौहान.. मेरा सीधा सवाल है.. आग लगी थी या लगाई गई है? आमतौर पर माना जाता है कि सरकार ऐसी ‘कार्रवाई’ चुनाव से पहले सबूत मिटाने के लिए करती है। अब भाजपा को यह भी बताना चाहिए कि पुरानी आग की घटना में दोषी कौन थे। कितने लोगों को सजा मिली?
वहीं, प्रदेश कांग्रेस मीडिया प्रभारी के.के. मिश्रा ने दावा किया कि घटना सोची-समझी साजिश थी। मिश्रा ने कहा, हमने हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी (आग) भविष्यवाणी की थी कि चूंकि चुनाव नजदीक हैं, इसलिए कमीशन और भ्रष्टाचार में डूबी भाजपा सरकार अपने घोटालों को छिपाने के लिए कागजों को नष्ट कर देगी।
इसी तरह की आग की घटना 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले हुई थी। सतपुड़ा भवन स्थित विभिन्न विभागों के बड़ी संख्या में दस्तावेज जलकर खाक हो गए और सरकार का दावा था कि शॉर्ट सर्किट से आग लगी है।
जून 2011 में भी इसी इमारत में आग लगी थी, हालांकि एक दशक बीत जाने के बाद भी आग लगने के कारणों का पता नहीं चल पाया है।