चित्तौड़गढ़| श्रमणसंघीय आचार्य डॉ. शिव मुनि की शिष्य ओजस्वी वक्ता जय श्रीजी ने कहा कि चातुर्मास मानव को जगाने के लिए की गई व्यवस्था है जो अनंतकाल से चल रही है। खातर महल में शुक्रवार को धर्मसभा को संबोधित करते हुए साध्वी ने कहा कि धर्म आत्म कल्याण के लिए और पाप छोड़ने के लिए किया जाता है। विडंबना यह है कि लोग सांसारिक कार्य को जरूरी समझकर धर्म के समय धर्म को छोड़ देते हैं। यह एक तरह से पाप करने के लिए धर्म को छोड़ना है। मनुष्य जन्म दुर्लभ और उसमें भी धर्मवाणी श्रवण और इसके प्रति श्रद्धा रखना अति दुर्लभ है। इसलिए चातुर्मास काल में श्रद्धा के साथ धर्म ध्यान करें। साध्वी राज श्रीजी ने कहा कि भव-भव भ्रमण समाप्त करने की जगह मनुष्य भव ही है। आत्मा का कल्याण करना है तो क्रोध, मान, माया व लोभ की जगह प्रेम, दया, करुणा और क्षमा भाव से दोस्ती करनी होगी। संचालन मंत्री सुनील बोहरा ने किया।
धर्म पाप छोड़ने के लिए, पाप के लिए धर्म मत छोड़ो
- Pari Jain dungla
- July 8, 2023
- 9:51 am
- No Comments
Share this post:
खबरें और भी हैं...
राशमी में सर्व धर्म प्रार्थना सभा का आयोजन
RISHABH JAIN
October 2, 2023
शौर्य यात्रा का डूंगला में होगा स्वागत
RISHABH JAIN
September 21, 2023
बहुजन मुक्ति पार्टी उतारेगी प्रत्याशी
RISHABH JAIN
September 8, 2023
भाजपा का केंद्रीय विधायक प्रवास: बूथ को मजबूत करने के लिए शक्ति केंद्र तक की बैठकें
RISHABH JAIN
August 25, 2023
गंगरार में चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग के लिए गौशाला में खिलाई हरी घास
RISHABH JAIN
August 24, 2023