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प्रमुख मुद्दे, उन पर चर्चा और निर्णय-सुझाव:विधानसभा चुनाव में राजस्थान और एमपी बॉर्डर पर 12 नाके लगेंगे

हमारे जिले की करीब 365 किमी लंबी सीमा मप्र से लगी है। दोनों राज्यों के अन्य जिलों की तरह बॉर्डर पर किसी तरह का कोई विवाद नहीं है। फिर भी सबसे गंभीर समस्या और चुनौती अपराधी हैं। दोनों राज्यों के मादक पदार्थ तस्कर, अवैध हथियार तस्कर, चोरी, लूट-डकैती जैसे अपराधों को अंजाम देकर पुलिस से बचने के लिए दूसरे राज्य में शरण लेते हैं।

ऐसे अपराधी आमजन और पुलिस के लिए सरदर्द बने हुए हैं।इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मप्र के 665 अपराधी चित्तौड़गढ़ जिले में वांटेड हैं। इनमें से 11 पर तो इनाम भी घोषित है।

राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र और मप्र के राज्यपाल मंगूबाई पटेल की संयुक्त अध्यक्षता में उदयपुर कमिश्नर कार्यालय में हाईलेवल बॉर्डर मीटिंग हुई। जिसमें राजस्थान के 9 और मप्र के 6 जिलों और संभागों के आला अफसर शामिल हुए। चित्तौड़गढ़ के लिहाज से चर्चा का फोकस अपराध, कानून व्यवस्था, मानसून के दौरान बाढ़ नियंत्रण और विस चुनाव रहा।

कलेक्टर अरविंद कुमार पोसवाल ने प्रेजेंटेशन दिया। एसपी राजन दुष्यंत ने गत दिनों हुई बड़ी घटनाओं पर संयुक्त प्रयास, ओवरऑल क्राइम पर सुझाव दिए। दोनों अफसरों के अनुसार जिले की 365 किमी सीमा मप्र से लगती है। इसलिए कई अपराधी लूट, डकैती, चोरी, मादक पदार्थ तस्करी की वारदात को अंजाम देकर आसानी से दूसरे राज्य में चले जाते हैं।

चित्तौड़गढ़ जिला पुलिस के वांटेड अपराधियों में से 665 एमपी के 4 जिलों नीमच, मंदसौर, रतलाम और झाबुआ के हैं। इनमें से 11 कुख्यात और लंबे समय से फरार हैं। नवंबर-दिसंबर में दोनों प्रदेश में विस चुनाव होंगे। इस दौरान सतर्कता और तालमेल की जरूरत रहेगी। मीटिंग में यह भी तय हुआ कि बॉर्डर पर दोनों राज्य मिलकर 12 जगह नाके लगाएंगे।

{ एमपी से अवैध हथियारों की तस्करी जिले में होती है। इनके ठिकानों पर ज्वाइंट रेड पड़ती रहे चित्तौड़ कलेक्टर व एसपी ने अवैध हथियार की समस्या को प्रमुखता से रखा। वहां कुछ जिलों में कुछ अपराधी अवैध हथियार बनाने का ही काम करते हैं। ये हथियार निम्बाहेड़ा सहित अन्य रास्ते से राजस्थान में और आगे तक जाते हैं। जिले में फायरिंग या अवैध हथियार जब्ती के 90 प्रतिशत तक केस एमपी से जुड़े होते हैं। इसलिए अवैध हथियार निर्माण अड्डो पर दोनों राज्यों की पुलिस मिलकर रेड डालती रहे तो इस समस्या पर काफी हद तक काबू पा सकते हैं।

वांटेड और तत्काल भागे अपराधियों के लिए दोनों राज्यों की पुलिस का सॉफ्टवेयर बने एसपी राजन दुष्यंत ने सुझाव दिया कि दोनों राज्य पुलिस का एक ऐसा विशेष सॉफ्टवेयर बने, जिसमें वांटेड अपराधियों की जानकारी अपडेट होती रहे। घटना या कार्रवाई की एफआईआर कटते ही इसकी सूचना इस पर हो ताकि फरार अपराधी पकड़ने में मदद की जा सके।

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